भारत पर प्लास्टिक बैग का क्या प्रभाव पड़ेगा?

हम और आप सभी लोग प्लास्टिक का यूज करते है लेकिन क्या आपको इसका अंदाज़ा है कि ये हमारे जीवन के लिए कितना खतरनाक है और आने वाले समय भारत पर इससे क्या असर पड़ने वाला है आइये आज इस आर्टिकल में हम इससे रिलेटेड पूरी जानकारी लेते है कि आखिर प्लास्टिक का यूज करने से हमारी लाइफ में क्या बुरा असर पड़ता है.

प्लास्टिक बैग का भारत पर क्या असर पड़ेगा?

आप सभी लोग प्लास्टिक के थैलों का यूज करते हैं लेकिन यही प्लास्टिक आने वाले सालों में हमारी जिंदगियों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन जाएगी इसीलिए सरकार ने पिछले कई पाबंदियों के बाद फिर से एक बार इस तरह के सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन लगा दिया है इस टॉपिक पर सरकार बहुत ज्यादा सीरियस है इसलिए भारत में 1 जुलाई 2022 से सिंगल यूज़ प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया जायेगा. इससे देश की कोल्ड ड्रिंक कंपनियों पर भी संकट मंडराता हुआ दिखाई दे रहा है और इसी कारण से भारत में कोका-कोला, पेप्सिको, पार्ले, अमूल और डाबर जैसी बेवरेजेस कंपनियां सरकार पर अपना फैसला बदलने के लिए दबाव डाल रही है लेकिन इस बार सरकार अपना फैसला नही बदलना चाहती है.

सिंगल यूज़ प्लास्टिक वो प्लास्टिक होती है जिनका एक बार इस्तेमाल करने के बाद उन्हें फेंक दिया जाता है क्योंकि इसे आसानी से कंपोज़ नहीं किया जा सकता है और साथ ही साथ इसे रिसाइकिल भी नहीं किया जा सकता है यही वजह है कि प्रदूषण को बढ़ाने में सिंगल यूज़ प्लास्टिक का मुख्य रोल होता है, 1 जुलाई से सिंगल यूज़ प्लास्टिक वाली चीजों पर जो बैन लगाया गया है और उनमे 100 माइक्रोन से कम मोटाई के प्लास्टिक बैनर, गुब्बारा, कैंडी, एयर बर्ड के स्टिक और मिठाई बॉक्स में यूज़ होने वाली कलिंग रैप्स पोलीथिन थैलियां भी शामिल है इसे अलावा केंद्र सरकार ने कहा है कि 120 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक बैग को भी 31 दिसंबर 2022 से बंद कर दिया जाएगा. इस साल के खत्म होते-होते हमारे देश से नॉन रिसाइकिलेबल प्लास्टिक को बैन कर दिया जायेगा.

सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन लगाना क्यों जरूरी है?

देश में प्रदूषण फैलाने में प्लास्टिक सबसे बड़ा कारण है 2018-19 के आंकड़ों के अनुसार देश में 30.59 लाख टन और 2019-20 में 34 लाख टन से भी ज्यादा प्लास्टिक कचरा जेनरेट हुआ था, अब आप ही बताइए कि जो प्लास्टिक ना डिकम्पोज़ होती है और ना ही इसे जलाया जा सकता है क्योंकि इससे जहरीले धुएं और हानिकारक गैसें निकलती हैं ऐसे में रिसाइकिलिंग के अलावा स्टोरेज करना ही एकमात्र उपाय होता है प्लास्टिक का यूज करने के बाद ये कूड़े में ही जाती हैं या फिर प्लास्टिक अलग-अलग रास्तों से होकर नदी और समुद्र में पहुँच जाती है ये प्लास्टिक माइक्रो पार्टिकल में टूटकर पानी में मिल जाती है जिसे माइक्रोप्लास्टिक भी कहा जाता हैं और ऐसे में नदी और समुद्र का पानी भी खराब हो जाता है यही कारण है कि प्लास्टिक की चीजों पर बैन लगने से भारत अपने प्लास्टिक वेस्ट जेनरेशन के आंकड़ों में कमी ला सकेगा.

यूनाइटेड नेशन्स इन्वायरमेंट के अनुसार दुनियाभर में आधे से ज्यादा प्लास्टिक को सिर्फ एक बार यूज़ करने के लिए डिजाइन किया गया है इसीलिए दुनियाभर में हर साल लगभग 30 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है.

1950 के दशक में प्लास्टिक की शुरुआत के बाद से अब तक 8.3 अरब मैट्रिक टन प्लास्टिक का प्रोडक्शन किया गया है, जुलाई 2022 से सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन लगाए जाने का विरोध अमूल और पार्ले जैसी बड़ी कंपनियां कर रही है इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है कि पार्ले कंपनी की फ्रूटी और हैप्पी फिस समेत 10 प्रॉडक्ट के लिए हर रोज़ 15 लाख से 20 लाख प्लास्टिक स्ट्रॉ की जरूरत होती है इसी तरह बाहर पार्ले एग्रो डाबर जैसी कंपनियों को रोज़ लगभग लाखों प्लास्टिक स्ट्रॉ की जरूरत होती है और ऐसे में कंपनियां सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन लगाए जाने का विरोध कर रही है क्युकी प्लास्टिक स्ट्रॉ के बैन होने पर ये प्रॉडक्ट जो स्ट्रॉ के बिना नहीं यूज किए जा सकते हैं उनका क्या होगा. इसके अलावा प्लास्टिक स्ट्रॉ की तुलना में पेपर स्ट्रॉ की कीमत 5 से 7 गुना ज्यादा होती है तो प्लास्टिक के बैन होने से इसका सीधा असर उन कंपनियों पर ही पड़ेगा. इसके अलावा उन कंपनियों का कहना है कि पेपर स्ट्रॉ बनाने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए,

सरकार के अचानक किये गये इस निर्णय से कंपनियां तैयार नहीं है. हर बार अलग-अलग तरह के प्लास्टिक बैन के साथ कई फैक्ट्रियां बंद हो जाती है इससे कई लोगों की नौकरियां भी चली जाती है आज भी प्लास्टिक बनाने वाला ये सेक्टर कई लाख लोगों को रोजगार देता है प्लास्टिक बैन उन लोगों को रोजगार जाने का डर होगा और साथ ही जो लोग लोन लेकर अपनी फैक्टरी चला रहे हैं वो लोन भी नही चुका पाएंगे. जिससे बैंको को भी भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है और ये बात भी साफ है कि उन्हें रोजगार देने की फिलहाल कोई तैयारी नहीं हुई है एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इन बदलावों के बाद आम दुकानदार ग्राहकों को प्लास्टिक थैलियां देना बंद कर देंगे,

अगर वो इनके अलावा कोई थैलियां ग्राहक को देंगे तो इसके लिए अलग से पैसे लेंगे और उनके अनुसार जैसे 3 किलो में 1000 प्लास्टिक थैलियां मिल जाती है लेकिन इनके मोटा हो जाने पर इतनी थैलियों के लिए दुकानदार 9 से 12 किलो प्लास्टिक की थैलियों की कीमत चुकायेंगे जिससे इसमें ज्यादा खर्च आएगा, और ऐसे में अगर दुकानदार ग्राहकों को थैली देंगे तो उसका खर्च अलग से वसूलेंगे.

सिंगल यूज़ प्लास्टिक के बैन के बाद इनकी जगह क्या यूज किया जाएगा?

सिंगल यूज़ प्लास्टिक के बैन होने पर अलग-अलग चीजों के लिए अलग-अलग विकल्प हो सकते हैं जैसे- प्लास्टिक के स्ट्रॉ की जगह पेपर स्ट्रॉ यूज कर सकते है इसी तरह बांस से बनी इयरबर्ड स्टिक, बांस से बनी आईसक्रीम स्टिक, कागज या कपड़े से बने झंडे, ट्रेडिशनल मिट्टी के बर्तन का इस्तेमाल इस्तेमाल किया जा सकता है एनवायरनमेंट एक्सपर्ट्स का मानना है कि सिंगल यूज़ प्लास्टिक बैन तभी सफल होगा जब आम लोगों में इसके प्रति जागरूकता होगी और आसानी से सिंगल यूज़ प्लास्टिक के दूसरे विकल्प लोगों के सामने मौजूद होंगे. इसके साथ ही किसी सामान में ऐसे प्लास्टिक का इस्तेमाल होना चाहिए जिससे आसानी से रिसाइकल किया जा सके,

दुनिया के कई देशों में पहले से ही सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन चल रहा है कई सरकारें सिंगल यूज़ प्लास्टिक के खिलाफ़ कड़े फैसले ले रही है ताइवान ने 2019 में प्लास्टिक बैग्स, स्ट्रॉ, बर्तन, और कप पर बैन लगा दिया है दक्षिण कोरिया ने बड़े सुबह मार्केट में प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया है इसके साथ ही वहाँ पर इस नियम को ना मानने वालों पर लगभग 2 लाख रूपये का जुर्माना लगाया जाता है साथ ही भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश ने भी 2002 में सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन लगा दिया था यूके, न्यूजीलैंड, कनाडा, फ्रांस, और अमेरिका में भी सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर कुछ शर्तों के साथ बैन लगाया गया है.

तो दोस्तों उम्मीद करते है कि आप सभी सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन लगाने वाले इस नियम को फॉलो करेंगे और अपने दोस्तों के साथ इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर भी जरुर कीजियेगा जिससे उनमे भी सरकार द्वारा लागू किये इस नियम के बारे में पता चल सके.

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