कामाख्या मंदिर से जुड़े ये रहस्य जरूर देखें | Must see these secrets related to Kamakhya temple in hindi

दोस्तों हमारे देश में बहुत सारे ऐसे मंदिर हैं जहाँ पर किसी न किसी देवी-देवता की पूजा की जाती है और उस मंदिर के होने का भी कोई न कोई कारण होता है इसी तरह से आपने कामाख्या देवी मंदिर के बारे में भी जरूर सुना होगा लेकिन क्या आपको पता है इस मंदिर का रहस्य क्या है अगर नहीं तो आइए आज इस आर्टिकल में हम जानते हैं कि कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य क्या है और इससे रिलेटेड पूरी जानकारी लेते है.

कामाख्या मंदिर का रहस्य क्या है?

असम की राजधानी दिसपुर से थोड़ी दूरी पर बना हुआ एक ऐसा मंदिर है जहाँ पर साल में एक बार दुनिया भर के तांत्रिक और अघोरी इकट्ठा होते हैं दिसपुर से 6km की दूरी पर स्थित नीलांचल पर्वत पर माँ भगवती कामाख्या का सिद्ध शक्तिपीठ मंदिर बना हुआ है ये मंदिर सती के 51 शक्तिपीठों में सबसे ऊँचा स्थान रखता है क्योंकि यहीं पर भगवती की महामुद्रा मतलब योनी कुंड स्थित है इसे लेकर दो तरह की कहानियां प्रचलित हैं

एक तरफ कहा जाता है कि ये वही जगह है जहाँ माता सती ने भगवान शंकर के साथ कुछ प्रेम भरे पल बिताए थे और दूसरी तरफ कहा जाता है कि जब भगवान शिव ने माता सती को अपनी गोद में उठाया था तो उनके शरीर के हर एक टुकड़े दुनिया के अलग-अलग जगहों पर गिरे और जो योनी वाला हिस्सा था वो नीलांचल पर्वत में जाकर गिरा था तभी से इस पर माता की पूजा की जाती है ये कहानी तो आपने भी सुनी होगी कि देवी सती के पिता दक्ष ने एक महायज्ञ आयोजित किया था इस यज्ञ में दक्ष ने सती और शंकर को आमंत्रित नहीं किया,

भगवान शंकर नहीं चाहते थे कि सती उस महायज्ञ में जाए क्योंकि उन्हें आमंत्रण नहीं मिला था इसीलिए शंकर जी ने सती को वहाँ जाने से रोका इस बात पर दोनों में बहस हुई और देवी सती अकेले उस महायज्ञ में चली गयी थी.

वहाँ उनके पिता दक्ष ने शिवजी का बहुत ज्यादा अपमान किया अपने पति के अपमान को देवी सती सहन नहीं कर पाई और यज्ञ के हवन कुंड में कूदकर उन्होंने अपना जीवन त्याग दिया था, जब ये बात भगवान शिव को पता चली तो वो बहुत ज्यादा क्रोधित हो गए शिवजी उस जगह पर पहुंचे जहाँ यज्ञ हो रहा था उन्होंने सती के मरे हुए शरीर को आग से निकाला और अपने कंधे पर रख लिया और अपना खतरनाक रूप लेते हुए तांडव शुरू कर दिया,

भगवान शंकर के क्रोध को देखते हुए भगवान विष्णु और अन्य देवी-देवता घबरा गए और फिर देवताओं ने सोचा  कि कुछ ना किया तो भगवान शंकर अपने क्रोध से प्रलय ले आयेंगे इसी वजह से भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र को छोड़ा और जिससे देवी सती का शरीर 51 टुकड़ों में बांटकर अलग अलग जगहों पर गिर गया, इन सभी स्थानों को देवी के 51 शक्तिपीठों के रूप में जाना जाता है और जिस जगह पर माता सती की योनी गिरी थी उसी जगह को कामाख्या देवी का नाम दिया गया और यही कारण है कि यहाँ पर देवी के योनी की पूजा की जाती है.

कामाख्या देवी मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य है कि यहाँ हर साल 3 दिन पानी का रंग लाल हो जाता है शायद ये बात सुनकर आपको अजीब लगे लेकिन ये पूरी प्रक्रिया 3 दिन चलती है इस प्रक्रिया के समय ब्रह्मपुत्र नदी का पानी लाल हो जाता है और इस दौरान मंदिर को भी 3 दिन बंद रखना पड़ता है मंदिर से निकलने वाले लाल पानी को यहाँ आने वाले भक्तों के बीच बांटा जाता है जिससे लोग प्रसाद के रूप में स्वीकार करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि ये 3 दिन कामाख्या देवी की माहवारी यानी पीरियड्स होते हैं और इसी कारण पानी का रंग लाल हो जाता है

वैसे तो इस बात का कोई भी ऐतिहासिक और पौराणिक प्रमाण नहीं है देवी के खून की वजह से ही नदी का रंग लाल हो जाता है लेकिन यहाँ पर आने वाले लोगों का कहना है कि ऐसा सच में होता है पहले जो लोग इन सभी बातों को झूठ समझते थे वो भी इस मंदिर में आकर इन सब चीजों को सच मानने लगते हैं क्योंकि इस मंदिर में कुछ ऐसी शक्तियां हैं जहाँ बहुत से इंसान को बहुत ही अलग-अलग चीजों के होने का आभास होता है इस मंदिर में मिलने वाला प्रसाद भी बाकी मंदिरों से बहुत अलग होता क्योंकि यहाँ पर प्रसाद के रूप में लाल रंग का गीला कपड़ा दिया जाता है

ऐसा कहा जाता है कि जब माता 3 दिन के लिए रजस्वला होती है तो एक सफेद रंग का कपड़ा मंदिर के अंदर बिछा दिया जाता है 3 दिन बाद जब मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं तो वो कपड़ा माता के खून से लाल रंग में भीगा होता है इस कपड़े को अम्बूवाची वस्त्र कहते हैं और इसी कपड़े को भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है जिसे अपने घर लाकर भक्त भगवान के पवित्र स्थान पर रख देते हैं क्योंकि इस कपड़े की बहुत ही ज्यादा मान्यता है, ऐसा मानते है कि यह कपड़ा जिसके पास भी होता है उसकी सारी तकलीफे खत्म हो जाती है माता का आशीर्वाद हमेशा उस भक्त के ऊपर होता है उसी दौरान यहाँ पर अम्बूवाची मेला भी लगता है.

अगर इस मंदिर के नाम के बारे में बात की जाये तो इसके पीछे भी एक पुरानी कहानी हैं  कहा जाता है एक श्राप के चलते कामदेव भगवान ने अपना पौरुष खो दिया था जिन्हें बाद में देवी शक्ति की योनी से ही इस श्राप से मुक्ति मिली थी और तभी से इस मंदिर का नाम कामाख्या देवी मंदिर पड़ा, और मंदिर की पूजा शुरू हो गयी. कामाख्या देवी के इस मंदिर में पूरी दुनिया से तांत्रिक तंत्र साधना के लिए भी आते हैं माना जाता है जब तक किसी तांत्रिक को माँ कामाख्या का आशीर्वाद ना मिले उस तांत्रिक को सिद्धि नहीं मिलती है

ये मंदिर हमें स्त्रियों के प्रजनन क्षमता का एहसास कराता है यह मंदिर इस बात को साबित करता है कि माता अपने हर रूप में पवित्र हैं और ठीक उसी तरह स्त्रियों का भी यह रूप छोटा नहीं होता है आप भी सोचकर देखिये जो लोग एक मंदिर में जाकर माता की योनी के रूप की पूजा करते होंगे उनका मन कितनी भक्ति और आस्था से भरा होगा और उनके लिए माता का हर रूप पूजनीय है और अगर माता का ये मंदिर चमत्कारिक ना होता तो क्यों दुनिया भर के तांत्रिक इस मंदिर में आशीर्वाद लेने क्यों आते है.

तो दोस्तों उम्मीद करते हैं कि कामाख्या देवी के मंदिर के रहस्य से रिलेटेड पूरी जानकारी आपको मिल गयी होगी और ये जानकारी माता के भक्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है.

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