इंग्लिश मीडियम वाले ही सबसे ज्यादा IAS क्यों बनते हैं?

इंग्लिश मीडियम वाले ही सबसे ज्यादा IAS क्यों बनते हैं?

अपनी स्किल्स पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए और हिंदी में जो नुकसान होता है अगर मेन्स की बात की जाये तो मेन्स में जीएस में नुकसान इसीलिए होता है क्युकी इसमें कंटेंट की अवेलेबिलिटी कम रहती है

इंटरव्यू में मीडियम से कोई ज्यादा फर्क नही पड़ता है इसीलिए अगर ये कहा जाये कि माध्यम का कितना फर्क पड़ता है तो आप इतना मान लीजिये कि इंग्लिश मीडियम में आपको लगभग मेन्स एग्जाम में 30 से 50 नंबर की लीड मिलती है क्युकी आप इंग्लिश मीडियम से है और आप सभी चीजें आपको आस-पास आसानी से अवेलेबल हैं हिंदी मीडियम में ये थोड़ा सा कम रहता है इसकी वजह सिर्फ एक ही है कि यूपीएससी के पेपर का पैटर्न जो है उसमे सभी भाषाएं बराबरी से परस्वाप नही कर पाती है इसीलिए जहाँ-जहाँ इस नुकसान को खत्म कर सकते हैं उसे ख़त्म कर देना चाहिए. जैसे- निबंध में, निबंध में आप चाहे तो 10 से 20 नंबर का एक्स्ट्रा फायदा उठा सकते हैं क्युकी आपकी भाषा हिंदी, गुजराती, तमिल या फिर तेलुगू है.

अगर आपका बात करने का और सोचने का तरीका सही है तो आप इंटरव्यू में भी अच्छा परफॉर्म कर सकते हैं जीएस में थोड़ा सा नुकसान है तो उसको भी आंसर रेटिंग स्किल्स के लेवल पर कम किया जा सकता है जैसे इंग्लिश के वो वर्ड है उनको अपने उत्तर में वैसे का वैसा लिख दिजिये इसी तरह से हिंदी में अंग्रेजी की तुलना में राइटिंग स्पीड कम होती है तो आपको अपनी स्पीड बढ़ाने पर पूरा अभ्यास करना है और अपने उत्तर को कैसे ग्राफ में द्वारा पॉइंट्स के द्वारा और जो पिक्टोरियल रिप्रेसेन्टेशन है उसके माध्यम से लिखा जाये आज के टाइम में ये तरीका बहुत अच्छा है और सारे टॉपर्स इस तरीका का इस्तेमाल करते हैं.

इन सभी (English medium wale hi sabse jyada ias kyon bante hai) बातों से पता चलता है कि मीडियम से फर्क पड़ता है लेकिन इतना नही कि आप उम्मीद हार जायें, अगर आप कोशिश करते है तो आप हिंदी मीडियम में रहकर भी सफलता हासिल कर सकते हो.

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