क्या शिव मंदिर को तोड़कर बनाया गया था ताजमहल? सच यहां जानें

ताजमहल के अंदर शिव मंदिर था पिछले कुछ सालों में ऐसी बातें सुनने में आ रही है लेकिन क्या सच में ताजमहल के अंदर शिव मंदिर बना हुआ है जिसे तोड़कर ताजमहल बनवाया गया, क्योंकि ASI में अभी जल्दी ही एक पिटिशन दायर की गई है और ये मामला पहले भी एक बार कोर्ट में भी जा चुका है और फिर भी ये पिटिशन दायर की गई है जिससे अब ये सवाल उठ रहा है कि ताजमहल के अंदर शिव मंदिर बना हुआ है या ये सिर्फ अफवाह है आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको इससे रिलेटेड पूरी जानकारी देते हैं

क्या शिव मंदिर को तोड़कर बनाया गया था ताजमहल? सच यहां जानें

दोस्तों जब भी दुनिया के सात अजूबों की बात आती है तो उसमें से एक नाम ताजमहल का भी आता है क्योंकि ताजमहल बहुत ही बड़ी इमारत है और इसकी बड़ी-बड़ी मान्यताएँ भी हैं लेकिन इस समय ताजमहल के ऊपर कई सारे सवाल उठ रहे हैं जिसपर आगरा टूरिज्म एसोसिएशन का कहना है कि ताजमल एक वर्ल्ड हेरिटेज साइट है और इसी कारण से ताजमहल से उत्तर प्रदेश सरकार को अच्छा रेवेन्यू मिलता है उत्तर प्रदेश में घूमने लायक बहुत सी जगह है लेकिन उनमें से सबसे खास ताजमहल भी है क्योंकि उत्तर प्रदेश में ना तो पहाड़ है ना समुद्र है इसलिए ज्यादातर लोग ताज महल देखने आते है और इसे दुनिया का सातवाँ अजूबा भी कहा जाता है जिसे देखने के लिए लोग विदेशों से भारत आते हैं.

साल 1983 में ताजमहल को यूनेस्को की तरफ से वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित कर दिया गया और यही बात आगरा टूरिज्म एसोसिएशन कह रहा है कि ये एक हेरिटेज साइट है इसलिए यहाँ पर जो कंट्रोवर्सी हो रही है वो नहीं होनी चाहिए, लोग सवाल करते हैं इसी वजह से लखनऊ ब्रांच ऑफ इलाहाबाद में पिटिशन डाली गई है जिसमें आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया का ये डायरेक्टिव दिए गए हैं कि ताजमहल के अंदर जो 20 कमरे उन्हें खोला जाए हालांकि यह पहली बार नहीं है क्युकी इससे पहले डॉक्टर रजनीश सिंह ने भी जो याचिका करते हैं उन्होंने बोला है की हमने RTI दायर की थी और मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर को भेजा था लेकिन उस पर मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर ने कहा है कि हम ताजमहल के अंदर जो 20 कमरे हैं उन्हें अभी खोल नहीं सकते क्योंकि आप सभी लोग जानते हैं कि ताजमहल एक कब्र है जिसमें शाहजहाँ की बीवी मुमताज़ महल की कब्र बनाई गई है और उन्हीं की याद में शाहजहाँ ने ताजमहल बनवाया था

लेकिन ताजमहल को बनवाने के बाद शाह के बेटे औरंगजेब जो शाहजहाँ का तीसरा बेटा था और वो शाहजहाँ को जरा सा नहीं मानता था सिर्फ शाह जा ही नहीं पूरे मुगल इतिहास में सबसे क्रूर शासक औरंगजेब था जिसने दारा सिंह को जिसके हाथ में कुरान रहती थी और दूसरा हाथ में भगवतगीता उसको बहुत ही बेरहमी से मौत के घाट उतारा था और उसके साथ-साथ औरंगजेब ने सत्ता पाने के लालच में अपने तीन भाइयों को भी मारने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी ये सारी चीजें करने के बाद औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहाँ को बंदी बनाया और फिर खुद मुगल बादशाह की गद्दी पर विराजमान हो गया.

अगर हम उन 20 कमरों के बारे में बात करें तो लोगो द्वारा मांग की जा रही है कि उन 20 कमरों को खोला जाये क्योंकि कई बार कहा जाता है कि ताजमहल शिव मंदिर है जो पहले के समय में तेजोमहालय था जहाँ पर भगवान शिव और अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां पाई गई थी फिर उसके बाद अगर हम ताजमहल की आकृति को देखा जाये तो कई बार ताजमहल को देखकर ऐसा लगता है कि शायद ताजमहल का वास्ता हिंदू देवी देवताओं से है लेकिन क्या इस बात में सच्चाई है अब तो उस्ताद अहमद लाहौरी जो कि बहुत बड़े आर्किटेक्ट शाहजहाँ ने उन्हें बुलाकर ताजमहल बनवाया था जिसे बनाने में 20 साल लग गए. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के मीडिया इंचार्ज डॉक्टर रजनीश सिंह ने ही पिटिशन फाइल की है कि उन्हें उन 20 कमरों को खुलवाकर दिखाया जाए जिसपर सुनवाई शुरू होने वाली हैं एक हिसाब से अगर देखे तो यह एक बहुत ही पुरानी कॉन्ट्रोवर्सी है

जिसमें यह कहा जाता है कि ताजमहल की जगह पर मंदिर हुआ करता था और अभी भी ताजमहल के अंदर भी ऐसे कमरे हैं जो बंद है और कोई भी उन कमरों में जा नहीं सकता अभी माना जाता है ये वही 20 कमरे हैं जहाँ पर हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां रखी गई है और ये चीज़ डॉक्टर रजनीश ने साफ-साफ अपनी पिटीशन में कही है अब कई लोग कहेंगे अगर ऐसा है तो ये सारी बातें इतिहास की बातें हैं अब तो ताजमहल बना हुआ है जिसे अब तोड़ा नहीं जा सकता है और सरकार इससे अच्छा पैसा कमा रही है वहाँ पहले मंदिर था या नहीं अगर था तो और भी बहुत सी चीजें होंगी जो सामने आएंगी इसलिए उन 20 कमरों को इतने सालों से खोला नहीं जा रहा है.

दोस्तों ये बात तो आप भी मानते है कि भारत मंदिरों का देश है यहाँ पर बहुत सारे मंदिर हैं ताजमहल सात अजूबों में से एक है और इसी ताजमहल की वजह से भारत में अभी टूरिज्म को बढ़ावा मिला है लोग अभी भी ताजमहल को देखने के लिए भारत आते हैं ऐसे में किसी पुराने मंदिर के लिए भारत की इकोनॉमी को इतना बड़ा नुकसान पहुंचाना सही नहीं है लेकिन अगर इतना ज्यादा ज़ोर दिया जा रहा है तो एक बार उन कमरों को खोल कर देखना चाहि जिससे सारी चीजें पता चल सकें.

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