सुनामी आने पर खुद को कैसे बचायें?

साल 2004 में 26 दिसम्बर को पूरी दुनिया में क्रिसमस का त्यौहार मनाया जा रहा था सन्डे का दिन था इसीलिए सब लोग मस्ती कर रहे थे. थाईलैंड के मकाऊ बीच (Macaw Beach) पर टूरिस्टों की लाइन लगी हुई थी लोग नदी किनारे रेट पर लेटकर मजा ले रहे थे उसी में एक 10 साल की बच्ची भी पानी के साथ खेल रही थी.

समुंद्र के किनारे उठते बुलबुले और झाग में उस बच्ची को चौंका दिया उसने देखा कि समुंद्र की लहरें तेजी से पीछे की तरह हट रही थी इसे देखकर बच्ची घबरा गयी और जोर-जोर से अपनी माँ को बुलाने लगी, जब उसकी माँ उसके पास आई तो उस बच्ची ने अपनी माँ से कहा “तुरंत यहाँ से दूर चलो वरना हम सब मारे जायेंगे” माँ ने ये सोचा की बच्ची ने समुंद्र में कुछ ऐसा देख लिया है जिससे वो घबरा गयी है.

उसने अपनी बेटी से कहा कि ऐसा कुछ नही है तुम ऐसे ही डर रही हो, इस बात पर उस बच्ची ने अपनी माँ को बताया कि 1 हफ्ते पहले ही टीचर ने बताया था कि अगर अचानक समुंद्र की लहरे किनारों से दूर हटने लगे उसमें झाग और बुलबुले बनने लगे तो समझ लेना की बहुत बड़ी लहर किनारों की तरफ आने वाली है, अब उस बच्ची कि माँ को भी यकीन होने लगा था क्युकी उसने भी देख की समुंद्र की लहरे काफी पीछे हट गयी है उसने दौड़ कर कोस्ट गार्ड को बताया तो कोस्ट गार्ड ने दूरबीन से देखा तो बहुत ऊँची-ऊँची समुंद्र की लहरें किनारों की तरफ बहुत तेज स्पीड में बढ़ रही थी.

कोस्ट गार्ड ने लाउडस्पीकर से अन्नाउंसमेंट कर दिया कि सभी लोग किनारों से दूर भाग जाये नही तो सब लोग मारे जायेंगे. सभी लोग वहां से हट भी नही पाए थे कि समुंद्र की तेज रफ़्तार से आती हुई लहरों ने सैकड़ो लोगों को अपनी चपेट में ले लिया. उस बच्ची के कारण बहुत से लोग अपनी जान बचा पाए थे. उस बच्ची का नाम था टिल्ली स्मिथ (Tilly Smith) , जो अपने परिवार के साथ थाईलैंड छुट्टियाँ मनाने गयी थी. इसने अपने परिवार के साथ-साथ और भी कई सारे परिवारों की जन बचाई थी. टिल्ली स्मिथ को 2005 में प्रेवरी अवार्ड से भी सम्मानित किया गया. 2004 में आने वाली इस सुनामी में दुनिया भर के लगभग ढाई लाख लोग मारे गये थे केवल भारत में ही 16 हजार 279 लोग मारे गये.

इस सुनामी से प्रभावी इलाकों के लोग आज भी उस समय को याद करके डर जाते हैं. 26 दिसम्बर को इण्डोनेशिया के सुमात्रा आइलैंड के पास समुंद्र में 9 तीव्रता के भूकंप के कई झटके आये थे इससे इंडियन ओसियन में ये बहुत ही खतरनाक सुनामी उठी थी ये सुनामी इतनी भयावह थी कि देखते ही देखते लोग इस सुनामी में समा गये.

ये एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है जिसके सामने कुछ भी टिक नही पाता है क्युकी इसे न कम किया जा सकता है और न ही रोका जा सकता है लेकिन जानकारी हो जाने पर इससे जान बचाई जा सकती है.

सुनामी क्या है और ये समुंद्र में उठती कैसे है

सुनामी एक जापानी शब्द है जो सु और नामी से मिलकर बना है सु का मतलब समुंद्र तट और और नामी का मतलब लहरें.जब समुंद्र में बहुत तेज हलचल होने लगता है तो उसमे उफान उठता है बहुत ऊँची-ऊँची लहरें उठना शुरु हो जाती है जिसकी स्पीड बहुत ही तेज होती है इन्ही लहरों को सुनामी कहा जाता है. समुद्र में उठने वाली लहरे चाँद, सूरज और ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से उठती है लेकिन सुनामी लहरें इन लहरों से बिलकुल अलग होती है.

सुनामी आने का सबसे बड़ा कारण भूकम्प है इसके अलावा जमीन धंसने, ज्वालामुखी फटने, किसी तरह का विस्फोट होने और कभी-कभी उल्कापात के असर से भी सुनामी की लहरें उठती है. सुनामी समुंद्र के चारों ओर एक साथ बढ़ती हैं. जैसे- जब आप पानी में पत्थर फेंकते है तो पानी में हलचल होती है और पानी चारों ओर आगे बढ़ने लगता है इसी तरह जब सुनामी उठता है तो किनारों पर सब कुछ ख़त्म कर देती है इसके सामने कुछ भी नही टिक पाता है चाहे वो कोई ऊँची इमारत हो या कोई ढांचा. सुनामी की लहरें समुंद्र के किनारों से टकरा कर 100 फुट तक आसानी से पहुँच जाती है. इनकी रफ्तार इतनी तेज होती है कि किनारों पर खड़े बड़े से बड़े जहाज को भी नष्ट कर देती है.

सुनामी आने पर कैसे बचें?

जिस तरह (Sunami aane par kaise bache) से वैज्ञानिक भूकम्प के बारे में नही सकते है ठीक उसी तरह वे सुनामी आने के बारे में कोई अंदाज़ा नही लगा पाते है लेकिन अब तक की सुनामी और महाद्वीपों की स्थिति को देखकर वैज्ञानिक कुछ अंदाजा लगा सकते है इसके लिए आज के समय में  डार्ट (DART) टेक्निक की मदद लेते हैं डार्ट का पूरा नाम डीप-ओसियन अस्सेस्मेंट एंड रिपोर्ट ऑफ़ सुनामीस (Deep-ocean Assessment and Reporting of Tsunamis) है.

ये दो (Sunami aane par kaise bache in hindi) डिवाइसेस से ऑपरेट होता है, इन दोनों डिवाइसेस में से एक समुंद्र में तैरता रहता है और दूसरा रिसर्च सेंटर में इनस्टॉल रहता है जो डिवाइस समुंद्र में तैरता रहता है वो समुंद्र में भूकम्प आने पर रिसर्च सेंटर में इसका सिग्नल भेजता रहता है जिससे वैज्ञानिकों को लोगों को बचाने के लिए 8 घंटे का समय मिल जाता है. इसका सक्सेस (Sunami aane par kaise bache in hindi) रेट बहुत कम है 1960 से अब तक सुनामी की सिर्फ 30% भविष्यवाणी सच हुई है. लेकिन इसका मतलब ये नही है कि आप सरकार द्वारा जारी की गयी सुनामी की चेतावनी को नजरअंदाज कर दें. आप खुद से सचेत रहकर भी सुनामी से बच सकते हैं.

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