डीजल-पेट्रोल नही, ये गाड़ी धूप से चलती है?
आइन्डोवन यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स ने सौर ऊर्जा से चलने वाली कैम्पर वैन के चलते ये सम्भव कर दिया है ये गाड़ी बड़ी होती है और इसमें दरवाजे भी चौड़े होते हैं आप इसमें आराम से आ सकते है और फर्नीचर भी बाहर निकल सकते हैं और लगा सकते हैं और ये गाड़ी प्राकृति के अनुरूप है.
इसके प्रोटोटाइप में बहुत पैसे खर्च हुए हैं इसमें एक कंप्यूटर और एक 60 किलोवाट की बैटरी है यह अविष्कार कैम्पिंग के लिए मशहूर देश में हुआ है. वहां पर लोग कैम्पिंग बहुत पसंद करते हैं कहीं भी जाने और रुकने की आजादी, छतों पर सोलर पैनल लगे होने से ये गाड़ी और भी बेहतर बन गयी है, जो सैस्टेनेबल कैम्पिंग की दिशा में एक नई छलांग है.
इसका प्रदर्शन करने के लिए वे स्पेन जाना चाहते हैं लेकिन पहले कैम्पर वैन को मरम्मत की जरूरत है इसके ड्राइव सिस्टम में कुछ खराबियां हैं, ब्रसर्स में रुके तो यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष ने इन गाड़ियों को एक समाधान बताया “इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ संभव है और इलेक्ट्रिक गाड़ियों की रेंज को बढ़ाया जा सकता है ग्रीन होना कोई छोटी-मोटी बात नही है आप सच में बदलाव महसूस कर सकते है”.
स्टूडेंट इसे हासिल करने के रास्ते पर है उनका लक्ष्य ग्रिड वाली बिजली के बिना यात्रा का है लेकिन फिर भी लाइसेंस प्लेट के नीचे एक सॉकेट को छिपाया गया है. जल्द ही उन्होंने ब्रसर्स के पास के कैमग्राउंड और इसके ही तकनीकी खराबी को भी पीछे छोड़ दिया है वो फ़्रांस में अपनी ऊर्जा के जरिये दाखिल हुए, 120 किलोमीटर प्रतिघंटे की स्पीड तक चलाने पर वैन की रेंज 730 किलोमीटर तक की है, कम से कम स्पैनिश धूप में ये बात पक्की है.
अगर 22 स्टूडेंट (Solar panel se chalne wali gadi) एक साल में ऐसी गाड़ी बना सकते हैं तो बड़ी कंपनियों के लिए ऐसा कर पाना सम्भव है हमे इसके लिए अपनी सोच को बदलना होगा और ऐसी गाड़ी बनाने का काम शुरू करना होगा. वो यूरोप की मुख्य भूमि के सबसे दक्षिणी छोर पर सिर्फ 1 हफ्ते में पहुंच चुकी है लेकिन इस सोलर कैम्पर गाड़ी को बाजार में पहुँचने में अभी 5 साल लग सकते है.
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