इन्टरनेट की रेडियेशन कैसे फैलती हैं? | पंछी क्यों मर रहे हैं?

इन्टरनेट की रेडियेशन कैसे फैलती हैं

पिछले कुछ सालों में अपने भी सुना होगा कि 5G फोन के कारण बहुत सारे पंछी मर रहे है और इंसानों को भी काफी नुकसान हो रहा है लेकिन ये सही खबर नही थी सब अफवाहें थी.

लेकिन अगर ये कहा जाये कि मोबाइल टावर से निकलने वाली रेडियेशन और हाई स्पीड इन्टरनेट की वाई-फाई से निकलने वाली रेडियेशन से इंसानों और सभी जीव-जंतुओं को काफी नुकसान होता है तो ये बात बिलकुल सही है आज के समय में सभी जगहों पर ऊँचे-ऊँचे मोबाइल टावर बनाये गये है पहले 2G का यूज किया जाता था लेकिन अब धीरे-धीरे 3G, 4G और अब 5G भी यूज किया जाता है.

पहले वाई-फाई 1Mbps से शुरू हुआ फिर धीरे-धीरे 2 Mbps, 3Mbps, 10Mbps और फिर 100 Mbps का यूज किया जाने लगा है. एलन मस्क का कहना है कि वो सेटेलाइट लांच करेंगे और पूरी पृथ्वी पर इन्टरनेट को सप्लाई कर देंगे उसके बाद आप चाहे जहाँ भी रहे आपको 100Gbps की स्पीड से इन्टरनेट यूज कर पाएंगे.

बहुत से जीव-जंतु जिसमे से कुछ समुंद्र में और कुछ धरती पर जो इको-लोकेशन का यूज करते हैं, पंछी आवाज करते हैं और टकरा कर वापस आती है उससे उनको पता चलता है कि उन्हें कैसे और कहाँ जाना है. इन्टरनेट की हाई स्पीड से निकलने वाली रेडियेशन्स इतनी ज्यादा है कि इससे इंसानों का शरीर भी बच नही पायेगा. मोबाइल टावर से निकलने वाली ये रेडियेशन्स पंछी और छोटे कीड़ो को बहुत नुकसान पहुंचा रहीं है.

आज के समय में स्टूडेंट्स की संख्या बहुत बढ़ रही है और इसीलिए फोन का इस्तेमाल भी काफी बढ़ गया है. ईएमआर के कारण मधुमक्खियों में अंडे देने की क्षमता में कमी पाई गयी है और उनमे कोलैप्स डिसआर्डर की प्रॉब्लम भी देखी गयी है.

मधुमखियाँ हमारे वायुमंडल के लिए बहुत जरूरी है कई फलों और सब्जियों के प्रोडक्शन में काफी मदद भी करती है. मोबाइल टावर से बहुत ज्यादा खतरा होता है क्युकी इससे बहुत ज्यादा मात्रा में रेडियेशन्स निकलती है. पछियों में मैग्नेटिक सेल्स होते है जिसे पंछियों का नेशनल नेविगेशन सिस्टम भी कहा जा सकता है जिससे पंछी अपना रास्ता पता करते हैं. मोबाइल टावर की रेडियेशन के कारण पंछियों के नेविगेशन सिस्टम में दिक्कत आती है और ये अपना रास्ता नही पता कर पाते हैं.

मोबाइल टावर से रेडियेशन्स कैसे फैलती है?

हमारे चारों तरह रेडियेशन फ़ैलाने वाले कई स्रोत है जैसे- रेडियो टावर टीवी टावर और मोबाइल टावर इत्यादि. इनमे से सबसे ज्यादा रेडियेशन मोबाइल टावर से फैलता है. सीडी एम ए टेक्नोलॉजी में  सेल टावर एंटीना इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड और रेडियेशने को 8692894 मेगाहर्टज़ की फ्रीक्वेंसी जेनेरेट करती है जबकि जीएसएम 900 और जीएसएम टेक्नोलॉजी के साथ मोबाइल टावर एंटीना 935 से 960 मेगाहर्टज़ और 1810 फ्रीक्वेंसी रेंज जेनेरेट करते हैं ये इलेक्ट्रो मेग्नेटिक फील्ड ही रेडियेशन की वजह है.

अनुनाइस्ड- अनुनाइस्ड रेडियेशन में यूवी रेस, गामा रेस, और एक्स रेस आती है ये किरणें किसी भी कैमिकल बांड को तोड़ सकती है आपके डीएनए को रोक सकती है इनका यूज ज्यादातर मेडिकल लाइन में किया जाता है.

नॉन-अनुनाइस्ड- नॉन-अनुनाइस्ड रेडियेशन में बहुत ज्यादा एनर्जी नही होती है लेकिन ज्यादा रेडियेशन इसमें भी खतरनाक हो सकता है इसके अंतर्गत सेल फोन्स, इन्टरनेट के वाई-फाई टीवी रेडियो फ्रीक्वेंसी जिसका यूज डेली लाइफ में सब लोग करते हैं. मैक्रो वेव में इसी रेडियेशन से हीट जेनेरेट की जाती है जिससे खाना गर्म किया जाता है अगर हम भी इसके सम्पर्क में बहुत देर रहे तो हमारा शरीर भी जल सकता है इसका कारण है अलग-अलग गवर्नमेंट एजेंसीज ने मोबाइल टावर और मोबाइल फोन के लिए रेडियेशन रेंज सेट की है और अगर इससे ज्यादा रेडियेशन जेनेरेट होगा तो उस एरिया में रहने वाले लोगों की स्किन जल सकती है. इस रेडियेशन का प्रभाव टावर के आस-पास सबसे ज्यादा होता है और टावर से दूर जाने पर ये रेडियेशन कम होता जाता है.

आप जिस टेक्नोलॉजी के फोन का इस्तेमाल करते हैं उसमे से निकलने वाली रेडियेशन बिलकुल वैसी ही होती है जैसी इन टावर्स से निकलती है. आज के समय में फोन हमारे लिए एक जरूरत बन गया है लेकिन आने वाले समय में इसका बहुत बड़ा प्रभाव होगा. मोबाइल टावर से निकलने वाली रेडियेशन से जीव-जंतुओं के साथ-साथ इंसानों में भी कई तरह के प्रॉब्लम्स आ रही है. मोबाइल रेडियेशन में ज्यादा समय के बाद फर्टिलिटी प्रॉब्लम, कैंसर, ब्रेन ट्यूमर, मिसकैरियस की प्रॉब्लम भी हो सकती है. हमारे शरीर में 70% पानी होता है और यही पानी रेडियेशन को ऑब्जर्व करता रहता है और ज्यादा रेडियेशन हो जाने पर प्रॉब्लम जेनेरेट करने लगता है.

जर्मनी (Internet ki radiation kaise failti hai in hindi) में हुई एक रिसर्च में बताया गया था कि जो लोग ट्रांसमीटर एंटीना के 400 मीटर की एरिया में रहते है उनमे कैंसर होने की संभावना काफी ज्यादा होती है. 400 मीटर के क्षेत्र में ट्रांसमिशन बाकि एरिया से 100 गुना ज्यादा होता है. आज के समय में सभी लोग फोन का इस्तेमाल करते है जो काफी नुकसानदायक है.

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