IPL पैसे कैसे कमाता है? | IPL के मालिक पैसे कैसे कमाते हैं?

IPL पैसे कैसे कमाता है?

आईपीएल का फुल फॉर्म इंडियन प्रीमियर लीग है. 2007 में जब इंडिया T20 का वर्ल्डकप जीता था तब से ये क्रिकेट का ये फोर्मेट लोगों के दिमाग में बैठ सा गया क्युकी ये फॉर्मेट नया होने के साथ ही प्लेयर्स की काबिलियत को भी कम समय में दिखाता था. लोगों को इतना लॉन्ग वे टाइम टेस्ट मैच और 50 ओवर्स के मैच पसंद नही आते थे क्युकी उन्हें इतना पेसेंस नही था.

आज के समय में सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म शोर्ट वीडियोस को ज्यादा प्रिफेर कर रहे हैं क्युकी लोगों का अटेक्शन स्पैन बहुत कम हो गया है. लेकिन इस फॉर्मेट में सभी प्लेयर अपनी-अपनी कंट्री के लिए खेलते थे इसीलिए फुटबॉल टूर्नामेंट, इंग्लिश प्रीमियर लीग और यूएस के नेशनल बास्केटबाल लीग NBA के फॉर्मेट से एक्सप्रेसन लेते हुए उस समय के बीसीसीआई के 22 प्रेसिडेंट ललित मोदी ने 2008 में क्रिकेट को शुरू किया.

DLF इंडियन प्रीमियर लीग, इसकी आवाज इतनी जोरदार थी कि ये क्रिकेट के इतिहास में ऐसा पहला टूर्नामेंट था जिसमे बड़े बिज़नेस मैन, बॉलीवुड क्लैमर सभी ने चार चाँद लगाये थे इसीलिए इसे शुरू में क्रिकेटैन्मेंट का नाम भी दिया गया था. अब जब आईपीएल शुरू हो गया था तो अब इसे प्रोसेस की जरूरत थी जिससे ये और भी ज्यादा अच्छा हो सकें, इसीलिए बीसीसीआई ने खिलाड़ियों की नीलामी से शुरुआत की, जिसमे वो हर टीम को प्लेयर्स की विनिंग के लिए रेट लगाने के लिए 80 करोड़ रूपये देते थे और ये पूरी तरह से टीम का डिसीजन होता था कि वो 80 करोड़ में कुछ प्लेयर्स को खरीदना चाहते हैं.

इसी के दौरान बीसीसीआई ने एक नियम लागू किया था जिसके अंतर्गत हर टीम ज्यादा से ज्यादा 8 इंटरनेशनल प्लेयर्स को ही खरीद सकता था और उनमे से एक समय पर 4 इंटरनेशनल प्लेयर्स को टॉप 11 पर खिलाया जाता है क्युकी टीम को खरीदने का काम वो खुद करती है इसीलिए उनके रहने, खाने, मैच के लिए प्रैक्टिस करना, जैसे सभी खर्चे टीम मेम्बर को देना पड़ता था. लेकिन हर टीम वो चाहे जहाँ से हो जैसी भी हो कमाई कर रही हो, तो उसे अपने रेमेन्यु में से 20% बीसीसीआई को अलग से देना पड़ता था.

आगे अब हम जानते हैं कि मैच विनिंग से लेकर बीसीसीआई को रेमेन्यु देने तक आईपीएल टीम खुद ही सारा पैसा खर्च करती थी तो क्या ओर्डीयेन्स को एंटरटेनमेंट करने की कीमत ये टीम्स खुद चुकाना चाहती थी? नही. क्युकी हमे यहाँ सारा खर्च आईपीएल फ्रेंचाइजी ने किया हो लेकिन 45 से 60 दिन वाले इस टूर्नामेंट में ये तिकड़म लाकर लागत से ज्यादा फायदा ले लेते है इस तिकड़म का पहला स्रोत सेंट्रल रेवेन्यू है जिसका पहला चैनल मीडिया राइट्स है. मीडिया राईट आईपीएल का सबसे बड़ा कॉन्ट्रिब्यूशन है जिससे आईपीएल हर साल 60 से 70% तब रेवेन्यू हो जाता है.

जब 2008 में आईपीएल शुरू हुआ था और तब से 2017 तक उसको टेलीकास्ट करने का राईट सोनी (Sony) एंटरटेनमेंट ने 8 हजार 2 सौ करोड़ में खरीदा था, आज के समय में आईपीएल के सारे मीडिया राईट स्टार इंडिया के पास है जिन्होंने 2018 में 16 हजार 374 करोड़ रूपये देकर आईपीएल के साथ 5 साल का कांट्रेक्ट साइन किया था. आज के समय में तो आईपीएल को ऑनलाइन भी स्ट्रीम किया जाने लगा है इसके बाद मिलने वाली टीआरपी से भी आईपीएल की इनकम 4 गुना तक ज्यादा हो गयी है क्युकी इतनी कमाई के बाद भी आईपीएल की आमदनी का ये चैनल यही तक सीमित नही है क्युकी ये एंटरटेनमेंट में बहुत आगे है और इसके बाद यही इसकी कमाई का स्रोत बना.

टाइल स्पोंसोर्शिप्स- जब आईपीएल शुरू हुआ था तो इसे डीएलएफ आईपीएल कहा जाता था क्युकी तब डीएलएफ ने 200 करोड़ रूपये देकर 2008 से 2012 तक आईपीएल की एन्स्पोर्शेशन खरीदी थी. उसके बाद 2012 में 397 करोड़ देकर पेप्सी ने ये एन्स्पोर्शेशन ले लिया था लेकिन 2015 में सपोर्ट फिक्सिंग स्कैंडल के बाद अपने आपको नेगटिव पब्लिसिटी से बचाने के लिए पेप्सी ने टूर्नामेंट से अपना हाथ हटा लिया.

इसके बाद पिक्चर में आई चायनीज मोबाइल कंपनी विवो (vivo), जिसने पहले आईपीएल को 200 करोड़ देकर 2 साल के लिए एन्स्पोर्शेशन को खरीदा, और 2018 में 2199 करोड़ देकर 5 साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट साइन कर दिया. चाइना ने भी 2020 में vivo ने इससे अपना हाथ हटा लिया. उसके बाद ये मौका ड्रीम 11 को मिला, जिसने 222 करोड़ देते हुए एन्स्पोर्शेशन को खरीदा.

अब बारी आती है आईपीएल के दूसरे स्टेज की, जिसमे है एडवरटाइज्मेन्ट और प्रमोशन रेवेन्यू की बात आती है

इसका मुख्य कारण है टीवी और ऑनलाइन स्टीमिंग के समय चलने वाले ऐड्स, जो आईपीएल की कमाई को दोगुना बढ़ा देते है. 2022 तक स्टार स्पोर्ट्स आईपीएल का ऑफिसियल ब्रॉडकास्टर और मैच में हर ओवर के बीच में 10-10 सेकंड के ऐड्स चलते है जिससे हर मैच में लगभग 2300 सेकंड के ऐड इन्मेंट्री होती है और यही वो समय होता है जिसमे ब्रांड्स अपने प्रोडक्ट को आसानी से लोगों तक पहुंचा पाते हैं और इसीलिए ब्रॉडकास्टर 10-10 सेकंड के चार्जेज का स्लॉट ब्रांड्स के लिए खोलते हैं

जिसमे (IPL paise kaise kamata hai) वो हर सेकंड का 5 लाख रुपया ब्रैंड से चार्ज करते हैं तभी तो स्टार इंडिया ने 2019 में 2200 करोड़ रूपये सिर्फ लोगों को एडवरटाइज्मेन्ट दिखाकर कमाया था क्युकी उस साल 51% लोगों ने आईपीएल देखा था जिसके बदले में स्टार चैनल की टीआरपी इतनी बड़ी थी कि चैनल का एकाउंट में 3 हजार करोड़ रूपये इकठ्ठा हो गये थे लेकिन ये ये कमाई सिर्फ मैच के बीच में कुछ सेकंड के ऐड्स से होती है.

इसके अलावा इनकी कमाई (IPL paise kaise kamata hai hindi) का एक स्टेज है लोकल इस द न्यू ग्लोबल. IPL में ये नारा 2008 से चलाया जा रहा है इसीलिए इनके रेवेन्यू जेनेरेशन में 10% हिस्सा लोकल रेवेन्यू का है और यही इनकी कमाई का तीसरा स्टेज है. अब बात करते हैं एन्स्पोर्शेश की. जिनके लिए सबसे बड़ा मार्केटिंग टूल प्लेयर की जर्शीस होती है इसीलिए आप आईपीएल के समय प्लेयर्स की जर्शी पर कलर फुल ब्रांड लोगो दिखाई देता है.

Image Credit: Shutterstock

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