फैक्ट्री में जहाज कैसे बनते है? | प्लेन की डिजाइनिंग और प्लानिंग?

आज के समय की टेक्नोलॉजी बहुत आगे हो गयी है जिससे हमारी लाइफ में बहुत सी चीजें काफी आसान हो गयी है. आप में से बहुत से लोगों ने हवाई जहाज में सफर किया होगा लेकिन कभी न कभी आपके दिमाग में ये सवाल जरुर आया होगा कि हवाई जहाज बनता कैसे है? इसे बनाने में कितनी मेहनत लगती है और इसका क्या प्रोसेस होता है? तो अगर आपको इन सब चीजों के बारे में नही पता है तो हमारे इस आर्टिकल में नीचे स्क्रॉल करके पूरा पढ़िये.

फैक्ट्री में जहाज को बनाने में कितने लोग और समय लगता है?

एक हवाई जहाज का आकार काफी बड़ा होता है इसे बनाते समय इंजीनियर्स को कई प्रोसेस को पूरा करना पड़ता है तब एक जहाज तैयार होता है.

एक प्लेन को बनाने में कई सारे स्टेज को पूरा करना पड़ता है-

प्लेन की डिजाइनिंग और प्लानिंग

जब भी हमें किसी बड़े प्रोजेक्ट पर काम करना होता है तो हमे सबसे पहले उसकी प्लानिंग और डिजाइनिंग करनी पड़ती है. जब इतने बड़े हवाई जहाज बनाने की बात होती है तो ये पहले तय कर दिया जाता है कि उस एयरक्राफ्ट के क्या-क्या स्पेसिफिकेशन्स और ऑब्जेक्टिव्स होंगे. ये प्रोसेस ड्राइंग और इन्वेंशन्स की मदद से पूरा किया जाता है. ये ड्राइंग कंप्यूटर सिस्टम की मदद से बनाये जाते हैं आज के समय में ड्राइंग भी 3D टेक्नोलॉजी की हेल्प से बनाई जाती है ये डिजाईन तैयार होने के बाद कम्पनी के पास फाइनल अप्रूवल के लिए भेजा जाता है. एक बार कंपनियों का अप्रूवल मिलने के बाद कम्पनी इस डिजाईन का इस्तेमाल एयरक्राफ्ट डिजाइनिंग और प्लानिंग के लिए करती है.

स्टिमुलेशन्स (उत्तेजना)

इस प्रोसेस में एयरक्राफ्ट को एक्टिव करने के काम किया जाता है इस काम में भी कंप्यूटर्स की मदद ली जाती है जिससे एयरप्लेन के प्राइमरी सिमुलेशन की जा सके. इसके बाद इसी के बेस पर हवाई जहाज के कुछ पार्ट्स को बनाया जाता है जो छोटे-छोटे होते है जिन्हें विन्डेड टर्नल में टेस्ट किया जाता है इस काम में सबसे ज्यादा फोकस एरो-डायनामिक्स को टेस्ट करने पर होता है.

एरो-डायनामिक का मतलब होता है वायुगति, हवा के अनुसार अपने शरीर को ढालने की एबिलिटी डायनामिक्स एरो-डायनामिक्स है. हवाई जहाज को उड़ाने में सबसे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट एरो-डायनामिक का होता है. अगर एरो-डायनामिक्स ठीक नही है तो प्लेन हवा में उड़ नही पायेगा. इस सिमुलेशन के प्रोसेस में तीन या चार साल का समय लगता है.

कंस्ट्रक्शन

इसमें स्टेज में हवाई जहाज को बनाया जाता है इसीलिए इस प्रोसेस में होने वाले सभी काम को दुनियाभर के कुछ खास इंजीनियर ही करते हैं क्युकी हवाई जहाज को बनाने का काम इसी स्टेज से शुरू होता है ये बात तो सभी लोग जानते हैं कि एक एयरोप्लेन में बहुत सारे इम्पोर्टेन्ट पार्ट होते हैं जैसे- विंग्स और इंजन जैसे और भी बहुत सारे पार्ट्स.

अब इसके एन पार्ट्स में भी बहुत सारे छोटे-छोटे पार्ट्स होते हैं. इन सभी पार्ट्स को एक-एक करके बनाया जाता है उसके बाद सबको एक साथ जोड़ दिया जाता है. इन सभी पार्ट्स को जोड़ने में वेल्डिंग प्रोसेस का यूज किया जाता है और यही सेफ रेगुलेशन्स में मेन्टेन करनी पड़ती है जिन्हें नेशनल एरोस्पेस एंड डिफेन्स कॉन्ट्रैक्टर्स एक्रेडिटेशन प्रोग्राम (National Aerospace and Defense Contractors Accreditation Program) द्वारा सेट किया जाता है. ये वही फर्म है जिनके द्वारा तय किये गये मानकों के हिसाब से एयरक्राफ्ट के हजारों पार्ट्स को आपस में जोडकर असेंबल किया जाता है. दुनिया में ऐसी बहुत कम कंपनीज है जो बड़े पैमाने पर एयरक्राफ्टस का प्रोडक्शन करती है. कभी-कभी एयरोप्लेन के अलग-अलग पार्ट्स को दुनिया के अलग-अलग देशों से मंगाना पड़ता है.

असेंबली

ये सबसे इम्पोर्टेन्ट और लास्ट स्टेज है इस स्टेज में सबसे पहले ये देखा जाता है कि जो अलग-अलग पार्ट्स बनाये जा रहे थे वो सही से काम कर रहे हैं कि नही. उन पार्ट्स को टेस्ट किया जाता है कि कहीं कोई खराबी तो नही है.

सभी पार्ट्स को चेक (How is an airplane made in a factory) करने के बाद उसे मेन मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में भेजा जाता है जहाँ पर मेन प्रोडक्शन जेनेरेट होता है इसके सभी पार्ट्स असेंबल होने के लिए रेडी रहते हैं जिनसे एयरोप्लेन बना सकता है, अब सभी पार्ट्स को जोड़ दिया जाता है और एयरोप्लेन तैयार हो जाता है एक बार काम पूरा होने के बाद पूरे प्लेन को बहुत बारीकी से इंस्पेक्शन किया जाता है जिससे ये पता लगाया जाता है कि प्लेन में कोई खराबी तो नही रह गयी है. किसी भी टेक्निकल प्रॉब्लम से बचने के लिए इस इंस्पेक्शन को सीरियसली और बारीकी से पूरा किया जाता है.

एक बार (How is an airplane made in a factory ) जब इंस्पेक्टर्स अपनी अप्रूवल दे देते है कि प्लेन सही से काम कर रहा है इसमें कोई प्रॉब्लम नही है तो उसके बाद इस प्लेन को सीरीस ऑफ़ फ्लाइट्स में टेस्ट किया जाता है जिससे ये पता किया जा सके कि इसमें जो फंक्शन्स इनस्टॉल किये गये है वो सही से काम कर रहे हैं. ये सब काम पूरे होने के बाद इसे पेंट किया जाता है और अगर इंटीरियर में कोई कॉस्मेटिक वर्क छूट जाता है तो उसे भी इसी समय पूरा कर लिया जाता है. अलग-अलग कंपनियां (How is an airplane made in a factory ) कई बार अपने प्लेन में इंटीरियर का कुछ अलग काम करवाती है. इन सभी कामों के पूरे होने के बाद आपका प्लेन पूरी तरह तैयार हो जाता है.

Image Credit: Shutterstock

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