पल्स कैंडी की सफलता की कहानी क्या है? | What is the success story of Pulse Candy

दोस्तों पल्स कैंडी तो आपने भी खाया होगा और कुछ लोगो को तो यह बहुत पसंद है लेकिन क्या आपको पता है कि पल्स कैंडी कैसे बनती है कि लोगो को इतना ज्यादा पसंद आती है तो दोस्तों आइये आज इस आर्टिकल में हम आपको पल्स कैंडी के बारे में पूरी जानकारी देते हैं.

पल्स कैंडी की सफलता का राज क्या है?

दोस्तों हमारे देश की बड़ी-बड़ी कंपनियाँ हमें हर मौसम में कच्चे आम का स्वाद देने की कोशिश करती है आप सभी लोगो ने पल्स कैंडी तो खाई ही होगी, साल 2015 में लॉन्च की गई पल्स कैंडी ने लोगों का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ बेहद कम समय में बहुत ज्यादा तरक्की की है.

पल्स कैंडी को बनाने वाली कंपनी कौन-सी है?

पल्स कैंडी एक तरह की टॉफी है इसे भारत की मशहूर कंपनी डीएस ग्रुप ने बनाया है इस कंपनी के द्वारा कैच मसाले, रजनीगंधा जैसी कई चीजें बनाई जाती हैं खट्टी मीठी ये कैंडी आज छोटी-बड़ी सभी दुकानों में मिल जाएगी ये कैंडी सिर्फ 1/- में मिलती इस कैंडी को बनाने के लिए डीएस कंपनी ने बहुत सारे रिसर्च किये और जब ये बात पता हो गयी कि लगभग 50% भारतीयों को कच्चे आम का स्वाद ज़्यादा पसंद आता है और भारतीय लोगों को थोड़ा खट्टा खाना ज्यादा पसंद है तो डीएस कंपनी ने मार्केट में एक ऐसी कैंडी लॉन्च करने के बारे सोचा जिससे उनका फायदा हुआ, लेकिन कंपनी ने इस बात को भी ध्यान में रखा कि पल्स कैंडी ऐसा स्वाद दे डाला जाए जो कैंडी को थोड़ा खट्टा और मीठा बना पाए और इस तरह से ये कैंडी बनाई गयी थी

जब अभी कैंडी मार्केट में ट्रायल के लिए तैयार थी डीएस कंपनी ने इसका ट्रायल साल 2015 में गुजरात में शुरू किया, गुजरात के मार्केट में यह कैंडी लॉन्च होते ही इस कैंडी ने मार्केट पर कब्जा कर लिया. लोगों को यह कैंडी इतना ज्यादा पसंद आने लगी कि कुछ लोग तो इसका पूरा डब्बा ही खरीद लेते थे मार्केट में डिमांड बढ़ने के कारण कंपनी ने इसका प्रोडक्शन और बढ़ाया इस तरह धीरे-धीरे कंपनी ने पूरे भारत में इसकी मार्केटिंग शुरू कर दी.

पल्स कैंडी लांच होने के 8 महीने में ही ये कंपनी लगभग 100 करोड़ का बिज़नेस कर चुकी थी इसके कुछ समय बाद फर्जी कंपनियों ने भी इसकी डुप्लिकेट कैंडी बनाना शुरू कर दिया लेकिन स्वाद के मामले में ये पल्स कैंडी से आगे नही जा पाए. इस कंपनी का हमेशा से यही उद्देश्य रहा है कि वो स्वाद और गुणवत्ता के साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं करेगी और इसमें किसी भी प्रकार की मिलावट नहीं की जाती है क्युकी इसमें स्वाद और गुणवत्ता होनी भी बहुत ज्यादा जरूरी है लेकिन आज के समय में मार्केटिंग और ऐडवर्टाइजिंग की फील्ड में एक अच्छा बिज़नेस मॉडल बनाना भी बेहद जरूरी है जिसे इस कंपनी ने बहुत अच्छे से किया.

सबसे पहले इस कंपनी ने भारत के लोगों का स्वाद जाना और बच्चो को समझा कि उन्हें किस तरह की कैंडी पसंद आती है उसी को आधार बनाकर इस कैंडी ने अपने स्वाद में कच्चे आम का फ्लेवर डाला और उसमें कुछ मीठा पान डाला, जिससे ये कंपनी इस पल्स कैंडी को बनाने में सफल हुई, इसकी सफलता का एक प्रमुख कारण है कि ये कैंडी आपको सिर्फ 1/- में मिलती है इसलिए दाम कम होने के कारण हर कोई इस कैंडी को खरीद सकता है.

इस पल्स कैंडी के रैपर का रंग काला और हरा होता है ये दोनों कलर एक साथ मिलकर पल्स कैंडी का रैपर बनाते हैं इसमें काला और हरा रंग आधे-आधे भागों में बांटा गया है पर दोनों के बीच में पल्स का नाम लिखा गया है हरे और काले लोगों के दिमाग में सीधा असर करते हैं क्योंकि हरा रंग प्रकृति से मिलता है पर काला एक विशेष दृश्य बनाता है और यह लोगों को आकर्षित करता है.

इस कंपनी को अपने ज्यादा पैसे ऐडवर्टाइजिंग में नही लगाने पड़े, इसका नतीजा ये था कि इसने 300 करोड़ रूपये कमाए थे ये खट्टी मीठी कैंडी को लोग बहुत ही ज्यादा पसंद करते है जिससे आज इस कंपनी का सालाना टर्न ओवर 6600 करोड़ रूपये हो चुका है और यह सालाना 12 से 14 परसेंट की दर से बढ़ता ही जा रहा है आज के समय में भी मार्केट का 1/3 हिस्सा इस कैंडी का ही है अब इस कैंडी को बनाने वाली कंपनी अन्य कई स्वाद वाली कैंडी को बनाकर अपने बिज़नेस को और बढ़ाने लगी है.

तो उम्मीद करते है कि अब आपको पल्स कैंडी के बारे में पूरी जानकारी मिल गयी होगी.

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