अंग्रेजो ने नई दिल्ली को ही भारत की राजधानी क्यों बनाया? | Why did the British make New Delhi the capital of India

हमारे भारत देश की राजधानी दिल्ली है ये तो आप सभी को पता ही है लेकिन क्या आपको पता है कि नई दिल्ली को ही भारत की राजधानी क्यों बनाया गया, अगर नही तो आइये आज इस आर्टिकल में हम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देते है कि आखिर अंग्रेजों ने नई दिल्ली को ही भारत की राजधानी क्यों बनाया?

अंग्रेजो ने नई दिल्ली को ही भारत की राजधानी क्यों बनाया?

हमारे देश की राज़धानी दिल्ली हमेशा से भारत की राजधानी रही है महाभारत के समय में इसे इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था और उस समय में भी ये देश की राजधानी थी दिल्ली का उसकी लोकेशन के कारण से राजधानी चुना गया क्योंकि दिल्ली शहर उस समय देश का सेंटर में आता था इसीलिए इसे देश की राजधानी बनाया गया था अंग्रेजों के जमाने में ब्रिटिशर्स कोलकाता काफी पसंद था वे उस वक्त वो इंडिया और चाइना के बीच काफी ज्यादा ट्रेडिंग करते थे और ट्रेडिंग के कारण से उन्हें कोलकाता के पोर्ट काफी ज्यादा पसंद है इसीलिए शुरुआत में उन्होंने सारे कामकाज वहीं से ऑपरेट होने के कारण कोलकाता को देश की राजधानी बना दिया गया था लेकिन धीरे धीरे ब्रिटिशर्स का पूरे इंडिया पर शासन होना शुरू हो गया है और उनका चाइना लेनदेन कम हो गया, जिसके बाद उन्होंने फिर से दिल्ली को अपनी राजधानी बना दिया और उस समय में देश की राजधानी दिल्ली 6 महीने दिल्ली और 6 महीने शिमला होता था   

क्योंकि ब्रिटिशर्स को शिमला का माहौल ज्यादा पसंद था क्युकी उस समय पाकिस्तान और इंडिया एक ही देश थे तो दिल्ली लोकेशन वाइज देश के बीचो-बीच में पड़ती थी और अलग-अलग स्टेट से दिल्ली तक पहुंचने में एक जैसा ही समय लगता था क्योंकि उस टाइम ट्रांसपोर्टेशन के लिए अलग अलग तरह की सुविधाएं नहीं थी इसलिए लगभग सभी लोगों को एक ही तरह का समय दिल्ली पहुंचने में लगता था वैसे तो दिल्ली पहले से ही देश की राजधानी रही है इसलिए वहाँ का माहौल पहले से ही राजनीतिक था और आज भी है अगर दिल्ली को राजनेताओं का हब भी कहा जा सकता है आज दिल्ली की पॉपुलेशन कुछ ज्यादा ही ओवर पॉपुलेटेड हो चुकी है जिसके कारण से हमारे देश की राजधानी दिल्ली को किसी दूसरे शहर में शिफ्ट करने के बारे में सोचा जा सकता है लेकिन क्या आपको लगता है कि ये करना सम्भव है.

वैसे तो देश का राजधानी दिल्ली से किसी दूसरे शहर में शिफ्ट करना काफी ज्यादा मुश्किल नहीं है दुनिया भर में बहुत सारे देशों ने ऐसा किया है और पूरे का पूरा कैपिटल शिफ्ट किया गया है कैपिटल का शिफ्ट हो पा रहा है बहुत ही ज्यादा नॉर्मल है ऐसे में आज देश के हालात ऐसे हैं दिल्ली हमारे बॉर्डर से बहुत ही नजदीक हो चुकी है और ये हमारे देश की सिक्युरिटी के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है. हमारे सबसे बड़े दुश्मन देश दिल्ली से काफी ज्यादा नजदीक आ चुके है और दिल्ली बहुत ही ज्यादा ओवर पॉपुलेटेड भी हो चुकी है साथ ही साथ यहाँ पर बहुत ज्यादा पोल्लुशन भी है आज के समय में ये एक पॉलिटिकल पावर कम्युनिकेशन बन चुका है और कभी-कभी तो दूसरे राज्यों के सारे डिसिशन रिमोट एरिया आज तक की डिसिशन्स दिल्ली से ही कर दिए जाते हैं जो कि इन राज्यों के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है पापुलेशन के कारण दिल्ली का मौसम काफी ज्यादा खराब हो चुका है और आज वहाँ क्राइम रेट काफी ज्यादा बढ़ चुका है इन्ही सब कारणों से कैपिटल शिफ्ट करने की बात हो रही है लेकिन अगर हम जमीनी तौर पर देखा जाये तो कैपिटल का पूरी तरह से शिफ्ट हो पाना हमारे देश में तो बिल्कुल भी मुमकिन नही है.

कपिटल शिफ्ट करने के लिए हमे एक पूरी न्यू सिटी बिल्ड करनी होगी और अगर एग्ज़िस्टिंग सिटी कैपिटल बना दिया जाए तो काफी ज्यादा मुश्किल हो जाएगा क्योंकि सारे सरकारी दफ्तरों के कंस्ट्रक्शन सड़कें वीआईपी सुविधाएं सिक्युरिटी सर्वे में करोड़ों का खर्च और बहुत समय वेस्ट होगा. कई बार बड़े शहरों को देश की कैपिटल बनाने की बात भी कही गई है जैसे- नागपुर, प्रयागराज, चेन्नई, चंडीगढ़, भोपाल आदि. इस सिटी का नाम काफी बार सजेस्ट किया गया है लेकिन अगर ऐसे कैपिटल बना दिया गया तो यहाँ भी वही चीज़ है वापस से होनी शुरू हो जाएंगे जो दिल्ली में होती आ रही है फिर से वही पल्यूशन, क्राइम, ओवर पॉपुलेशन की समस्या बढ़ जाएगी.

देश का पॉलिटिकल सीन काफी ज्यादा सेंट्रल और शोर्ट हो जाएगा क्योंकि राजनीतिक माहौल से निकलकर एक अलग शांति का माहौल होगा जिससे सोशल इन्वायरमेंट अच्छा मिलेगा शहर में वीआईपी कल्चर की शुरुआत हो जाएगी क्योंकि पहले भी कैपिटल बदलने की बहुत बार कोशिश की गई है दिल्ली की राजधानी को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में शिफ्टिंग इतिहास में हुई थी और एक काफी बड़ा फेलियर बनकर सामने आया था हिस्टरी में कैपिटल शिफ्ट करने की वजह से बड़े बड़े अंपायर गिर गए इसलिए कभी भी किसी ने भी कैपिटल शिफ्ट करने की हिम्मत नहीं की है.

कैपिटल शिफ्ट करने के इफेक्ट्स क्या है?

अगर दिल्ली से कैपिटल शिफ्ट हो जाये तो वहाँ जो हेड क्वार्टर ऑफिस है उनका क्या होगा और अगर किसी दूसरे शहर को कैटल बना भी दिया जाए तो वह वापस से बड़े बड़े ऑफिसर हेडक्वाटर्स बनाने पड़ेंगे जिसमें करोड़ों का खर्च आएगा. जैसे कि महाराष्ट्र जो कि अपने में दो कैपिटल्स उसके साथ काम करता है उसका वेंचर कैपिटल नागपुर है नागपुर में जब से गवर्नमेंट ऑफ महाराष्ट्र ने कैपिटल शिफ्ट किया तो उन्हें बहुत ही ज्यादा खर्च करना पड़ा था साथ ही दो-दो कैपिटल्स होने के कारण महाराष्ट्र को काफी ज्यादा नुकसान भी होते है वहां से आइपीएस और आइएएस ऑफिसर का कहना है कि महाराष्ट्र की दो ऑफिस कैपिटल बनाने का आइडिया पैसे बर्बाद करने वाला आइडिया था लेकिन जम्मू कश्मीर भी दो-दो कैपिटल के साथ काम करता है जो उसके लिए बहुत ज्यादा जरूरी है क्योंकि सर्दियों में वहाँ इतनी ज्यादा बर्फ पड़ जाती है कि एक जगह से दूसरी जगह जाना मुश्किल हो जाता है.

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