क्या होगा अगर आप सोते समय मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं?

क्या होगा अगर आप सोते समय मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं?

टेक्नोलॉजी इतना आगे हो गयी है कि आज के समय में सभी लोग स्मार्ट फोन का यूज करते हैं और अब ये हमारे जीवन का मुख्य अंग बन गया है ऐसा लगता है कि इसके बिना तो लोग बिखर से जायेंगे, बहुत लोग ऐसे है जिन्हें रात में बिना मोबाइल फोन चलाये नींद ही नही आती है लेकिन क्या आप जानते हैं ये हमारे लिए कितना नुकसानदायक है अगर नही तो आइये हम आपको बताते है कि ये सोते समय फोन चलाने से हमारे दिमाग पर क्या असर पड़ता है?

आप सभी लोग जानते हैं कि हमारा शरीर अपना सारा काम हमारे दिमाग में फिक्स्ड बॉडी क्लॉक के हिसाब से करता है और हम अपने कामों को करने का समय तय रखते हैं ऐसा इसलिए होता है क्युकी जब हम अपने किसी काम रेगुलर बेसिस पर करना शुरू कर देते हैं तो हमारा दिम्गा उसी हिसाब से एक क्लॉक के जैसे चलने लगता है जिसे बॉडी क्लॉक कहा जाता है.

अगर हमारा बॉडी क्लॉक बाहर के वातावरण से ताल-मेल बनाकर चलता है तो हमारा शरीर स्वस्थ्य बना रहता है लेकिन जब हमारा बॉडी क्लोक बाहर के वातावरण से तालमेल नही बन पाता है तभी दिक्कतें आना शुरू हो जाती है. हमारे दिमाग में कुछ ऐसे न्युरोंस होते है जो हमारे शरीर को मेन्टेन रखने में मदद करते हैं और इन्ही न्युरोंस के कारण ही हमारे शरीर में बॉडी क्लॉक बना रहता हैं. अगर हम गैन्ग्लिओन सेल की बात करें, तो ये सेल सूरज के डूब जाने के बाद अँधेरा हो जाने पर हमारे शरीर को मेलाटोनिन के होर्मोन को रिलीज करने का सिग्नल देती है और ये होर्मोन हमारी नींद के लिए बहुत जरूरी है

क्युकी रात के समय में आने वाली नींद हमे इसी होर्मोन के कारण आती है लेकिन ये न्यूरोन नीले रंग के प्रति काफी सेंसिटिव होते हैं नीला रंग देखते ही ये न्यूरोन हमारे दिमाग को ये सिग्नल देता है कि अभी दिन है अभी जागने का समय है और यही कारण है कि जब दिन में हम नीले आसमान को देखते हैं तो हमे जागने का सिग्नल मिलता है और हमे बहुत कम नींद आती है.

लेकिन यहाँ पर सबसे मेन बात ये हैं कि हमारे मोबाइल फोन या हम जो इलेक्ट्रिक उपकरण यूज करते हैं जिन्हें हम स्क्रीन के द्वारा देखते हैं उनसे भी ब्लू लाइट निकलती है तो अगर आप रात के समय किसी मोबाइल फोन या लैपटॉप को देखेंगे तो उससे निकलने वाली नीले रंग की किरणें आपकी आँखों में पड़ेंगी, जिससे आपके दिमाग को ये सिग्नल मिलेगा कि अभी तो दिन है और जैसे ही ये सिग्नल दिमाग में जायेगा तो बॉडी में रिलीज होने वाला मेलाटोनिन होर्मोन रिलीज होना बंद हो जाता है जिसके कारण हमारी नींद पर बहुत बुरा असर पड़ता है.

बहुत लोग कहते हैं कि हमारे फ़ोन में तो ब्लू लाइट फिल्टर लगा हुआ है तो ये अच्छी बात है क्युकी ये हमारी आँखों ब्लू लाइट रेश से बचाएगी जिसके कारण हमारे शरीर में बनने वाला मेलाटोनिन होर्मोन सक्रिय रहेगा, लेकिन ये आपकी आँखों को पूरी तरह से नही बचा सकता है. फोन चलाते समय रात कब बीत जाती है पता नही चलता है जबकि सोना इन्सान के लिए बहुत जरूरी होता है क्युकी अच्छे से सोने से हमारे दिमाग को अगले दिन अच्छे से काम करने की ऊर्जा मिलती है और शरीर की थकान भी दूर हो जाती है.

फोन हमारी नींद के साथ-साथ हमारे दिमाग पर भी गहरा असर डालता है आस्ट्रेलिया में एक रिसर्च हुई ये जानने के लिए कि मोबाइल फोन चलाने से लोगों के आईक्यू पर क्या असर पड़ता है. बढ़ती टेक्नोलॉजी के दौर में लोगों का दिमाग तेज हुआ है और लोगों को नई चीजें सीखने का मौका मिला है लेकिन अगर बात उनके इंटेलिजेंस की आती है तो ये काफी कम हो गयी है क्युकी आज कुछ भी जानने के लिये हम फोन का यूज कर लेते हैं मोबाइल फोन ने हमारे काम को इतना आसान कर दिया है इसीलिए लोग कुछ भी सोचने या समझने के लिए दिमाग का इस्तेमाल नही करना चाहते हैं और यही कारण है कि ये हमारे आईक्यू लेवल को कम करता जा रहा है.

ये सभी दिक्कतें मोबाइल फोन (Sote time mobile chalane se kya hoga) का यूज करने से हुई है अगर ये टेक्नोलॉजी लैपटॉप या कंप्यूटर के जैसे थोड़ा महँगी होती तो लोग इसे इतना ज्यादा यूज नही करते और न ही लोगों का दिमाग इतना खराब हो रहा है, तो अगर आप चाहे तो इन समस्याओं से बच सकते हैं लेकिन उसके लिए आपको एक नियमित समय के लिए मोबाइल फोन का यूज करना होगा और अगर आप किसी चीज को देख रहे हैं ट सिर्फ उसी को देखें आगे बढ़ते हुए देखते न चले जाएँ. अपना ज्यादा से ज्यादा समय किताबों और इंसानों से साथ बिताइए इससे आप खुद में बहुत से बदलाव भी देख सकेंगे.

Image Credit: Shutterstock

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