हो रही नई नई खोजें, भगवतगीता के अद्भुत अद्भुत अविष्कारों से हैरान वैज्ञानिक जाने पूरा सच

भागवत गीता एक धार्मिक पुस्तक है पश्चिमी देशों के कई विद्वान उइस गीता का इस्तेमाल रोज़मर्रा की परेशानियां दूर करने और विज्ञान के कई विषयों पर रिसर्च करने के लिए करते हैं श्रीमद्भागवत गीता में श्रीकृष्ण के वचनों को 5000 साल पहले से संजोकर रखा गया है आज इस आर्टिकल में हम आपको भगवत गीता की कुछ ऐसी बातें बताने वाले हैं जो हजारों साल पहले कही गयी थी आज भी दुनिया के कई महान रिसर्चर किसी धार्मिक मकसद से नहीं बल्कि वैज्ञानिक रिसर्च करने के लिए इसे पढ़ते हैं इसमें कुछ ऐसी थ्योरिज़ बताई गई है जो समय समय पर दुनिया को समझ आती है और तब माना जाता है कि हजारों साल पहले इसे बताया जा चुका है लेकिन हमारे समझ में अब आ रही है तो दोस्तों आइये आज इस आर्टिकल में हम आपको इससे रिलेटेड पूरी इनफार्मेशन देते है.

भगवतगीता के अद्भुत अद्भुत अविष्कारों से हैरान वैज्ञानिक ! हो रही नई नई खोजें

श्रीमद्भागवत गीता को साइकोलॉजी के लिए बहुत ही अच्छी बुक माना जाता है लेकिन लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है कि इसमें आपको बायोलोजी, फिजिक्स, मैथ और एस्ट्रोलॉजी जैसे कई टॉपिक्स के बारे में पूरी जानकारी मिल सकती है आइये आज हम आपको चार ऐसे विषयों के बारे में बताऊंगा जो श्रीमद्भागवत गीता में लिखी गयी है और बड़े बड़े विद्वान इस विषयों की जानकारी पाने के लिए आज भी श्रीमद् भागवत गीता को पढ़ते हैं.

वैलिडेशन (Meditation)

चाइना और जापान की कुछ ऐसी मेडिटेशन टेक्निक्स है जिससे हम अपने सबकॉन्शियस  माइंड को कंट्रोल कर सकते हैं या फिर हम इस टेक्निक्स को डेली रूटीन में प्रयोग करके अपने स्ट्रेस दूर कर सकते हैं और श्रीमद्भागवत गीता में इस बात को बताया गया है कि अगर आपका दिमाग सही स्थिति में हो तो आप सच्चाई को नहीं जान सकते है मेडिटेशन को एक खास तरीका बताया गया है मन और दिमाग को शांत करने के लिए जिससे आपको सच्चाई सही से नजर आएगी श्रीमद्भागवत गीता के अध्याय 6 में ध्यान योग के बारे में पूरी जानकारी लिखी हुई है ऐसी टेक्निक्स जिसे चाइना और जापान अपना बताते हैं उस साइंटिफिक टेक्नीक को कई 1000 साल पहले से ही गीता के अध्याय 6 में बहुत अच्छे से समझाया गया है.

लॉ ऑफ़ थर्मोडाईनॅमिक्स (Law of Thermodynamics)

थर्मोडाइनैमिक्स का फर्स्ट लॉ कहता है कि एनर्जी को ना बनाया जा सकता है और ना ही खत्म किया जा सकता है उसे सिर्फ एक फॉर्म से दूसरे फॉर्म में कन्वर्ट कर सकते हैं जिसे हम कंजर्वेशन ऑफ एनर्जी भी कहते हैं. उदाहरण- जब हम एक बल्ब को जलाते है तो इलेक्ट्रिसिटी हेड और लाइट के रूप में निकलती है इस तरह से एनर्जी बस अपना रूप बदलती है लेकिन कभी भी खत्म नहीं होती है इसी तरह से भागवत गीता के अध्याय 2 के श्लोक 23 में भी लिखा है कि हमारी आत्मा यानी की सोलर एनर्जी कभी खत्म नहीं होती वो बस अपना शरीर बदलती है आज वैज्ञानिक मानते हैं कि हमारी आत्मा भी सिर्फ एक एनर्जी है और वो एनर्जी एक शरीर से निकालकर दूसरे शरीर में जाती है और यही तो श्रीमद्भागवत गीता में भी बताया गया है जिसे भागवत गीता में अपनी आत्मा का उदाहरण देकर समझाया गया है

आर्टिफिशियल लाइफ (Artificial Life)

भागवत गीता में लिखा है हम वीजा प्रदा पिता इसका मतलब है कि इस दुनिया की सारी जिंदगी यानी लाइफ किसी दूसरी लाइफ से पैदा होती है, स्पॉन्टेनियस जेनरेशन जैसी कोई चीज़ नहीं होती, स्पॉन्टेनियस जेनरेशन का मतलब है कि एक ऐसी ज़िंदगी जो किसी नॉन लिविंग यानी मैटीरियल से पैदा हुई हो. उदाहरण- एक ऐसा लिविंग सेल जो किसी नॉन लिविंग थिंक यानी एक मशीन से पैदा हुआ हो तो उसे हम स्पॉन्टेनियस जेनरेशन कहेंगे, आप में से कई लोगों ने इस थ्योरी के बारे में सुना होगा कि लाइफ मैटर से क्रिएट की जा सकती है लेकिन ये कोई थ्योरी नहीं है बल्कि हाइपोथिसिस है यानी कि इसे सिर्फ एक कल्पना कहा जाता है किसी ने आज तक इसे प्रूफ नहीं किया है साइंटिस्ट लुईस पॉश्चर ने अपनी थ्योरी ऑफ स्पॉन्टेनियस जेनरेशन में ये दिखाया है कि स्पॉन्टेनियस जेनरेशन से लाइफ नहीं बनाई जा सकती है. उन्होंने ही सबसे पहले बेसराइजेशन तकनीक को खोजा था उन्होंने दूध को उबालकर उसमें सभी बैक्टीरिया को खत्म कर दिया और दूध को कई महीनों तक सही रखा, हम सभी लोग जानते हैं कि दूध में बैक्टीरिया होते हैं जिसके कारण दूध खराब हो जाता है इसी कारण दूध का दही भी बनता है लेकिन अगर सभी बैक्टीरिया को खत्म कर दिया जाए तो वहाँ पर किसी लिविंग थिंग को पैदा नहीं किया जा सकता है और भागवत गीता में भी इस बात को बताया गया है.

सिमुलेशन (Simulation)

श्रीमद भागवत गीता में ये एक सबसे बड़ी थ्योरी बताई गई है कि हमारा ये संसार असली नहीं है ये सिर्फ एक सिमुलेशन है जिस तरह से हम किसी वीडियो गेम को खेलते हैं तो उसे सिमुलेशन कहा जाता है वो असली दुनिया नहीं होती लेकिन हमें अहसास होता है जैसे हमारे कंप्यूटर के अंदर एक असली दुनिया जिंदा है, ठीक उसी प्रकार हमारी दुनिया को भी ऐसा ही बनाया गया है लेकिन ये सच्चाई नहीं है आज स्टीफन हॉकिंग और एलन मस्क जैसे बड़े-बड़े विद्वानों का भी यही मानना हैं कि हमारी ये दुनिया एक सिमुलेशन हो सकती है और उन्हें इसके छोटे-छोटे प्रमाण भी मिलते हैं लेकिन हर किसी का कहना है कि इंसानी दिमाग की क्षमता अभी उस स्तर तक नहीं पहुंची है कि हम किसी ऐसे सिमुलेशन को बना सके जो एकदम असली लगे, हमारी इस दुनिया को माया कहा गया है यानी कि मैट्रिक्स जो पूर्ण सच्चाई नहीं है और हमें वो दिव्य दृष्टि चाहिए जिससे हम बाहर देख सकते हैं इस थ्योरी को सही से समझने के लिए आपको द मैट्रिक्स मूवी जरुर देखनी चाहिए जिसमें सही से ये बात को समझाया गया है और कोई भी इसे समझ सकता है आज भले ही श्रीमद्भागवत गीता और साइंस के रिलेशन को आप बहुत ही कम माने लेकिन फिर भी समय-समय पर ऐसी खोजें होती रहती है जिसका वर्णन पहले ही श्रीमद्भागवत गीता में किया जा चुका है आज भी बड़े-बड़े विद्वान जो किसी और धर्म को मानते हैं लेकिन फिर भी वो श्रीमद्भागवत गीता पढ़ते है.

अन्य पढ़े:

अब फ्री में Twitter नही यूज कर सकेंगे

अब पेट्रोल 200 से ऊपर होगा

गरीब कल्याण सम्मेलन में पहुँचकर PM देंगे किसानों को 21 हजार करोड़ की क़िस्त

क्या शिव मंदिर को तोड़कर बनाया गया था ताजमहल? सच यहां जानें

आइये जानते है कि कैसे बनता है फैक्टरी में नकली पनीर

Leave a Comment