बुलेटप्रूफ जैकेट पहने सैनिक को गोली क्यों नही लगती है?

जब एके47 जैसी बुलेट लोहे से बनी चीजों को भी भेदकर निकल जाती है तो बुलेटप्रूफ जैकेट पहने सैनिक को गोली क्यों नही लगती है. तो आप भी सोचते होंगे कि बुलेटप्रूफ जैकेट में ऐसा क्या होता है कि उसमे गोली नही लगती है, तो आज इस आर्टिकल में हम आपको इससे रिलेटेड पूरी जानकारी देंगे.

बुलेटप्रूफ जैकेट क्या है? (What is bulletproof jacket in hindi)

बुलेटप्रूफ जैकेट गोलियों से बचने के लिए बनाई जाती है जब हमारी सेना या फिर पुलिस का मुकाबला अपराधियों या किसी दुश्मन देशों के सैनिकों से होता है तो वे अपनी सुरक्षा के लिए बुलेटप्रूफ जैकेट पहनते हैं. देश के बड़े-बड़े लोग भी दुश्मनों से बचने के लिए बुलेटप्रूफ जैकेट पहनते है. सुरक्षा की कई परतों से बनी ये जैकेट तेज स्पीड से आने वाली गोली के असर को ख़त्म कर देती है.

बहुत समय पहले राजा भी युद्ध में कवच का इस्तेमाल करते थे, उससे पहले शुरुआत में इन्सान हमलों से बचने के लिए जानवरों के चमड़े का यूज करता था लेकिन धीरे-धीरे हथियारों में बदलाव आने लगा और इसी तरह इन हथियारों से बचने के लिए सेफ्टी के इंतजाम में भी बदलाव किया जाने लगा. एक समय में लकड़ी औ धातुओं से बने कवचों का इस्तेमाल दुश्मन के हमलों से बचने के लिए किया जाने लगा. 15वीं सदी में हमलों से बचने के लिए धातुओं की परतों का इस्तेमाल करके कवचों को बनाया जाने लगा ये कवच बहुत ज्यादा मजबूत होती थी. इस कवच को तलवारों और भालों से नही भेदा जा सकता था.

उसके बाद 18वीं सदी में जापान ने रेशम का इस्तेमाल करके ऐसा कवच बनाया जो पहले से ज्यादा पावरफुल था लेकिन ये काफी महँगी थी. साल 1901 में जब अमेरिका के राष्ट्रपति की हत्या हुई तो एडवांस बुलेटप्रूफ जैकेट की सबसे ज्यादा जरूरत महसूस हुई थी. जापान के द्वारा रेशम से बनाये गये कवच कम रफ़्तार से आ रही गोलियों से बचा लेते थे लेकिन एडवांस समय में एडवांस हथियारों (तोपों और एडवांस बंदूकों जैसे हथियार) से बचाने में सक्षम नही थी. इसीलिए रेशम से बने कवच ज्यादा समय तक वैल्युएबल नही रह गये.

तब दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान फ्लैक जैकेट का अविष्कार हुआ. इस जैकेट को बनाने में बैलिस्टिक नायलन फाइबर का इस्तेमाल किया जाता था ये जैकेट गोला-बारूद से बचा सकती थी लेकिन इसका वजन ज्यादा था. उसके बाद साल 1960 में कैवलर नाम के नये फाइबर का यूज करके बुलेटप्रूफ जैकेट को बनाया गया आज के समय में भी इस फाइबर का यूज बुलेटप्रूफ जैकेट को बनाने के लिए किया जाता है.

ये फाइबर काफी हल्की और बहुत ज्यादा मजबूत होती है. केवलर एक पैराअरैमिट सिंथेटिक फाइबर है ये एक तरह का प्लास्टिक ही होता है लेकिन ये बहुत ही ज्यादा लचीला और टिकाऊ होता है. ये अपने कांटेक्ट में आने वाली ऊर्जा (एनर्जी) को सोख लेता है और उसको तोड़ देता है. इसीलिए दुश्मनों से बचने के लिए ये ज्यादा यूज की जाती है.  

बुलेटप्रूफ जैकेट कैसे बनती है?

Bulletproof jacket pahne se goli kyu nahi lagti
Image Credit: Shutterstock

बुलेटप्रूफ जैकेट में मुख्य दो परत होती है एक बाहरी लेयर (सिरेमिक लेयर) और एक अन्दर की लेयर (बैलिस्टिक लेयर). इन दोनों लेयर को मिलाकर एक बुलेटप्रूफ जैकेट बनाई जाती है. सबसे पहले केवलर फाइबर को कैमिकल से मिलाकर उसका एक घोल तैयार किया जाता है उसके बाद धागे के जैसे उसे काटा जाता है और उसकी मदद  से धागे की एक बड़ी सी रील तैयार की जाती है, उसके बाद उस धागे से बैलिस्टिक सीट्स की कई लेयर बनाई जाती है

उसके बाद इस सीट की कई लेयर्स को अच्छे से सिलकर कई प्लेट्स बनाई जाती है और फिर इस प्लेट्स को एक जैकेट में एक में आगे और पीछे की तरफ फिट कर दिया जाता है. जैकेट के बैलिस्टिक पैनल्स को फिट करने के लिए जेबें होती है जिससे ये काम आसान हो जाता है.

बुलेटप्रूफ जैकेट काम कैसे करती है?

जब बुलेट जैकेट में लगे केवलर प्लेटों से टकराती है तो उसकी स्पीड कम हो जाती है बुलेट के नुकीले हिस्से जिन प्लेटों से टकराकर टूट जाते है इससे गोलियों की भेदने की क्षमता कम हो जाती है. इससे बुलेट बुलेटप्रूफ जैकेट पहने व्यक्ति से शरीर के सम्पर्क में नही आ पाती है जब बुलेट छोटे-छोटे टुकडों में टूट जाती है तो उससे निकलने वाली ऊर्जा को बैलिस्टिक प्लेट की दूसरी लेयर्स सोख लेती हैं लेकिन इससे इन्सान के शरीर को नुकसान होता है.

रिसर्च करने पर पता चला कि अगर केवलर की कई परतों को आपस में सिल दिया जाये तो कुछ लेयर्स गोली को रोकने का काम और कुछ लेयर्स उससे निकलने वाली एनर्जी को सोख लेंगी इससे बुलेटप्रूफ जैकेट पहनने पर इन्सान को बहुत कम नुकसान होगा. इसीलिए आज के समय में जब किसी बुलेटप्रूफ जैकेट पहने (Bulletproof jacket pahne se goli kyu nahi lagti) व्यक्ति को गोली लग जाती है तो उस ऐसा लगता है कि जैसे किसी ने उसे जोर से मुक्का मारा हो क्युकी ये फ़ोर्स इतना तेज नही होता है कि इन्सान के शरीर के किसी अंग को नुकसान पहुंचा दे.

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