असली स्पेस कहाँ से शुरू होता है? | Where does real space begin in Hindi

दोस्तों आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आखिर स्पेस कहाँ से स्टार्ट होता है क्योंकि आप में से बहुत से लोगों के दिमाग मे ये सवाल आ रहा होगा कि आखिर स्पेस कहाँ से शुरू होता है तो जिन कंडीडेट को इसके बारे में जानकारी नहीं है वो हमारे इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें क्योंकि आज इस आर्टिकल में हम आपको इससे रिलेटेड पूरी इन्फॉर्मेशन देंगे.

असली स्पेस कहाँ से शुरू होता है?

समुद्र तल से 100km ऊपर अंतरिक्ष के बाद स्पेस शुरू हो जाता है यानी कि पृथ्वी के सतह से ठीक 100 किलोमीटर के ऊपर एक कर्मन लाइन शुरू होती है और ऐसा माना जाता है कि इस कर्मन लाइन के पार से स्पेस शुरू होता है फेडरेशन एरोनॉटिक्स इंटरनेशनल के अनुसार स्पेस यहीं से शुरू होता है नासा का भी यही कहना है कि इंटरनेशनल्ली- The Karman Line is the space. अब इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन इस कर्मन लाइन के उस पार से पृथ्वी के चक्कर लगाता है मतलब कि कर्मन लाइन 100km बाद से शुरू हो जाती है और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन लगभग पृथ्वी की सतह से 400 किलोमीटर की ऊंचाई से उड़ता है इससे भी पता चलता है कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन स्पेस में मौजूद है.

कर्मन लाइन पृथ्वी के एटमोस्फियर के अंदर है और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन खुद भी पृथ्वी के एटमोस्फियर में ही उड़ता है और इस पे नासा के साइंटिस्ट का ये कहना है कि स्पेस एक्चुअली कहाँ से शुरू होता है लेकिन इसकी ऐसी कोई एकदम सही परिभाषा नहीं है वैसे तो कर्मन लाइन को इंटरनेशनल स्पेस मान लिया गया है लेकिन जैसे- जैसे हम पृथ्वी के ऊपर जाते हैं एटमोस्फियर कम होता जाता है और हम और ज्यादा डीपर स्पेस में चले जाते हैं.

माना कि आप पृथ्वी की कोई जमीनी सतह पे खड़े है तो इसे पृथ्वी की बॉटम कहा जायेगा और ये विस्तार पृथ्वी के एटमोस्फियर के स्टार्टिंग और पहली लेयर (ट्रोपोस्फियर) में आता है यहाँ पर आप भी हम लोगो जैसे ही जीव रहते हैं यहाँ पर भी बिल्डिंग है यहाँ पर बड़े-बड़े पहाड़ है इसी ट्रोपोस्फेयर के अंदर बादल भी मंडराते है सारे प्लेन्स और सारे पक्षी इसी के एटमोस्फियर के अंदर उड़ते हैं और माउंट एवरेस्ट की चोटी भी इसी ट्रोपोस्फियर के अंदर ही आती है अब आप भी सोचते होंगे की इस ट्रोपोस्फियर की रेंज कितनी है तो पृथ्वी की सतह से 12 किलोमीटर ऊपर तक ट्रोपोस्फियर की लेयर मानी जाती है इसके बाद स्ट्रार्टोफेयर (Startosphere) शुरू होता है और इसकी रेंज 12km से 50km है स्ट्रार्टोफेयर में सिर्फ फाइटर जेट प्लेन, हाइ ऐटिट्यूड बलून उड़ती है और ओजोन लेयर भी इसी स्ट्रार्टोफेयर लेयर में है.

इसके बाद मेजोस्फेयर (Mesosphere) शुरू होती है और इसकी रेंज 50km से 80km तक है पृथ्वी की ग्रेविटी से अट्रैक होकर पृथ्वी पर गिरने वाले ज्यादातर म्यूटोराइट्स इसी रेंज में आकर खत्म हो जाते हैं और एटमोस्फियर की इस लेयर तक आते-आते यहाँ का प्रेशर पृथ्वी की सतह की तुलना में सिर्फ 1% रह जाता है तो इस लेयर में आप हवा को महसूस नहीं करेंगे लेकिन यहाँ पर मॉलिक्यूल्स होते हैं मेजोस्फेयर लेयर के बाद आगे पृथ्वी के एटमोस्फियर के विस्तार के 80km से ऊपर थर्मोसफेयर शुरू होता है और थर्मोसफेयर की यह लेयर 80km से 700km की रेंज में फैली हुई है इसी थर्मोसफेयर की रेंज में कर्मन लाइन आती है इसी में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन उड़ता है हमारा हबल स्पेस टेलिस्कोप भी इसी एटमोस्फियर में ऑर्बिट करता है

इस लेयर में थोड़ी-थोड़ी गर्मी होती है लेकिन इंसान यहाँ पर बहुत ही ठंडा फील करेंगे, साथ ही यहाँ पर एयर नहीं है ज्यादा मोलीक्यूल्स भी नहीं है फिर भी यहाँ तक पृथ्वी का एटमोस्फियर 0.001% है इसके बाद पृथ्वी का एक आखिरी ऐटमोस्फेरिक लेयर आता है जिसे एक्जोसफेयर (Exosphere) लेयर को कहा जाता है यह बात तो सायद आप भी जानते होंगे कि थर्मोसफेयर लेयर ऑलमोस्ट वैक्यूम है फिर भी पृथ्वी की एक और लेयर इससे ऊपर आती है एक्जोसफेयर लेयर की रेंज 1000km से 1,00,000km का स्पेस फैला है यहाँ पर कोई आवरण नहीं है कोई भी प्रेशर नहीं है इसीलिए इसे दीप स्पेस भी कहा जा सकता हैं.

एटमोस्फियर और स्पेस दोनों एक दूसरे में ओवरलैप है लेकिन फिर भी ऐसा मान लिया गया है कि स्पेस कर्मन लाइन से शुरू होता है लेकिन कर्मन लाइन के उस पार भी पृथ्वी का एटमोस्फियर है और ये जो ट्रोपोस्फियर, स्ट्रार्टोफेयर, मेजोस्फेयर और थर्मोसफेयर है वो एक दूसरे को ओवरलैप करते हुए एक दूसरे के अंदरूनी हिस्से को ओवरलैप करते हुए शुरू होते है.

तो दोस्तों उम्मीद करते है कि हमारी ये जानकारी आपको अच्छे से समझ आ गयी होगी, और पता चल गया होगा कि स्पेस के शुरू होने की कोई सही जानकारी नही है क्युकी हमारे एटमोस्फियर के बाद भी कई सारी लेयर आती है.

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