चाँद के दूसरे हिस्से का वो राज जो कोई नहीं जानता है

दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम आपको चाँद के एक दूसरे हिस्से के बारे में बताएंगे जिसके बारे में शायद आपको भी जानकारी नहीं होगी इसलिए हमारे इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें.

चाँद के दूसरे हिस्से का वो राज़ जो कोई नहीं जानता

ये बात तो आप भी जानते है कि पृथ्वी सूरज का चक्कर लगाती है साथ ही साथ खुद अपने अक्ष पर घूमती है जिसके करण दिन और रात होते हैं दिन में सूरज हमें रोशनी देता है और रात में चाँद से हमे रोशनी मिलती है, और अब चांद भी पृथ्वी का चक्कर लगाता है लेकिन वो पृथ्वी की तरह खुद अपने अक्ष पर नहीं घूमता जिसके कारण से उसका सिर्फ एक गोलार्द्ध में हजारों सालों से दिखता है और दूसरा गोलार्ध कैसा होगा और उसकी कल्पना 60 के दशक से पहले किसी ने भी नहीं की थी. लेकिन जब दूसरा विश्व युद्ध खत्म हुआ तो उसके बाद से अमेरिका और रूस के बीच वर्ल्ड वॉर शुरू हो गया और इसमें दोनों अपने दुश्मन देश को नीचा दिखाना चाहते थे और इसके लिए दोनों देशों ने ज़ोरों शोरों से अपने स्पेस प्रोग्राम शुरू कर दिए हैं और यहाँ से लड़ाई शुरू हुई कि स्पेस में अपना परचम पहले कौन लहरा पाता है जिसके बाद सन् 1959 में रूस ने अपना एक अंतरिक्ष यान चाँद पर भेजा है इस मशीन का नाम The Luna 3 था इस मशीन में स्पेस में किसी इंसान को नहीं भेजा गया था ये मशीन पूरी तरह से मशीन के ऊपर ही निर्भर था जिसके बाद दुनिया के सामने पहली बार चाँद की दूसरी साइड की तस्वीरें सामने आई और यह काफी ज्यादा हैरान कर देने वाली थी.

जब The Luna 3 के द्वारा ली गयी तस्वीरें देखी गई तो इन तस्वीरों की क्वालिटी उतनी अच्छी नहीं थी जिसके बाद अमेरिका और खुद रूस ने इस पर काफ़ी रिसर्च की और साल दर साल कैमरा क्वालिटी के साथ ही साथ और रिसर्च की स्पीड बढ़ने से जो रिज़ल्ट सामने आए उसे जानकर आप भी हैरान रह जायेंगे इसमें सबसे बड़ी बात सामने आई कि चाँद के दोनों गोला एक दूसरे से बिल्कुल अलग है सिर्फ देखने में नहीं बल्कि केमिकल कॉम्पोजिशन में भी ये काफी अलग थे. हमे चाँद का जो हिस्सा रोज़ दिखाई देता हैं उसमें हमें बड़े-बड़े काले धब्बे दिखाई देते हैं लेकिन चाँद के दूसरे हिस्से में ऐसे कोई बड़े धब्बे नहीं है बल्कि छोटे-छोटे गड्ढे हैं जिन्हें विज्ञान की भाषा में Crater (ऐसे गड्ढे हैं जो अंतरिक्ष में तैर रहे चट्टानों से टकरा जाने से बनते हैं) कहा जाता है साथ ही साथ चाँद के हिस्से छोटे-छोटे गड्ढे की वजह से सामने वाले हिस्से से ज्यादा खूबसूरत लगता है.

चाँद के सामने वाले हिस्से में काले धब्बे क्यों है?

इसकी दो थ्योरी है इसकी पहली थ्योरी है कि चाँद का जो हिस्सा पृथ्वी को फेस करता है पृथ्वी उसकी रक्षा कर लेती है लेकिन ये थ्योरी इतनी कन्विन्सिंग नहीं लगती क्योंकि पृथ्वी का व्यास और चाँद से पृथ्वी की जो दूरी है अगर उससे कैलकुलेट किया जाये तो एक किसी भी तरह से पॉसिबल नहीं है कि पृथ्वी चाँद को बचा लेगी. अब दूसरी थ्योरी की माना जाये तो इतने हजार सालों में जो भी वालकेनिक ऐक्टिविटी हुई है उसी वजह से चाँद पर ये धब्बे बन गए हैं इतिहास में जब वैज्ञानिक तौर पर इन काले धब्बों के बारे में जानकारी नही थी तब इन धब्बों को मारिया नाम दिया गया था. मारिया एक ग्रीक वर्ल्ड है जिसका मतलब होता है समुद्र, अब पुराने लोगों का यह मानना था कि पृथ्वी पर समुद्र है वैसे चांद पर भी समुद्र रहा होगा और समुद्र सूखकर ऐसे निशान छोड़ गया.

लेकिन इसका मुख्य कारण लावा और ज्वालामुखी था जिसकी वजह से चाँद के सामने वाले हिस्से पर ऐसे काले धब्बे पड़ गये हैं. अभी आपके मन में भी एक सवाल आ रहा होगा कि सिर्फ सामने की तरफ ही काले धब्बे क्यों तो आइए जानते हैं इसकी भी दो थ्योरीज है पहली थ्योरी के अनुसार जैसे पृथ्वी की कई परतें है वैसे ही चांद की भी तीन परतें है चाँद की पहली लेयर भी दोनों अलग-अलग हिस्सों में है सामने के हिस्से में इसकी परत काफी पतली है जबकि पिछले हिस्से में लेयर मोटी है इन लेयर्स में इतना अंतर इसलिए है क्योंकि जब करोड़ों साल पहले चाँद और पृथ्वी का निर्माण शुरू हुआ था तभी उबलते हुए दो गोले थे जिनमें हजारों ज्वालामुखी हुआ करते हैं धीरे-धीरे साल दर साल ये ठंडे होते गये. इसलिए चाँद का जो हिस्सा पृथ्वी की तरफ था वो पृथ्वी की गर्मी की वजह से जल्दी ठंडा नहीं हो पाया और सुलगता रहा जिसकी वजह से उसकी ऊपरी सतह पतली रही लेकिन चाँद का पिछला हिस्सा जल्दी ठंडा हो गया और उसकी ऊपरी सतह मोटी हो गयी. इसकी थ्योरी के अनुसार जब एस्ट्रॉय चांद की पतली लेयर में गिरे तो उसे आसानी से भेद गए और चाँद से लावा निकलता रहा.

अगर दूसरी थ्योरी की बात करें तो 8 अप्रैल 2022 को जनरल साइंस एडवांसेस ने एक पेपर जारी किया जिसमें इस रिसर्च के बारे में बताया गया था और सालों बाद चाँद के इन दोनों हिस्सों के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी लोगो को मिली, इस पेपर में कहा गया कि चाँद के सामने वाले हिस्से में वाल्केनिक ऐक्टिविटी इसलिए ज्यादा है क्योंकि उसके पिछले हिस्से में जो बड़ा क्रेटर है जिसे सौरमंडल का सबसे बड़ा क्रेटर माना जाता है जब वह ग्रेटर बना तब वो एस्ट्रोइड जितनी तेजी से चाँद से टकराया उस स्पीड की वजह से सारे केमिकल कॉम्पोजिशन चाँद की तरफ आ गए साथ ही स्पीड की वजह से अंदर की परतों में जो रिएक्शन हुआ उससे अंदर ही अंदर आग सी लगने लगी और इस तरह से चाँद के इस तरफ वाल्केनिक एक्टिविटी शुरू हो गयी. अगर चाँद पर मिलने वाले केमिकल कॉम्पोजिशन की बात करें तो चांद के सामने वाले हिस्से में जो केमिकल्स मौजूद हैं वो दूसरे हिस्से में नहीं मिलते जैसे कि पोटैशियम फास्फोरस थोरियम ये एलेमेंट्स चाँद के पीछे की तरफ़ बिल्कुल नहीं है.

तो दोस्तों उम्मीद करते है कि चाँद के दूसरे हिस्से के बारे में आपको पूरी जानकारी मिल गयी होगी.

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