भारत कैसे निकाल रहा है समुद्र से तेल | How India is extracting oil from the sea

दोस्तों आज के टाइम में ऊर्जा के संसाधन बढ़ते ही जा रहे हैं जिससे पेट्रोल डीजल जैसे तेल की जरूरतें बढ़ती जा रही है लेकिन क्या आपको पता है कि इस तेल को समुद्र से कैसे निकाला जाता है अगर आपको इसके बारे में नहीं पता तो हमारे इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें क्योंकि आज इस आर्टिकल में हम आपको भारत में समुद्र से तेल कैसे निकाला जाता है इससे रिलेटेड पूरी इन्फॉर्मेशन देंगे

भारत में समुद्र से तेल कैसे निकाला जा रहा है?

ये बात तो आप सभी लोग जानते है पेट्रोल एक फॉसिल फ्यूल होता है और इसे धरती के नीचे गहराईयों से प्राप्त किया जाता है धरती के नीचे पाये जाने का कारण ये माना जाता है कि सैकड़ों हजारों साल पहले पृथ्वी पर भूकंप आया था जिसके कारण बहुत से पेड़ और जीव जंतु जमीन के अंदर दब गए और पृथ्वी पर बहुत ही ज्यादा गर्मी है इसलिए जो पेड़ और जीव जंतु थे वे जल गए, जिसमें से निकलने वाली गैस व तेल सब चट्टानों के बीच में इकट्ठा होते चले गए हैं इस बात से पता चलता है कि इस समय हम जो पेट्रोल और डीज़ल जैसे तेल इस्तेमाल कर रहे हैं वो सालों पहले जीव जंतु और वनस्पतियां के नष्ट होने के बाद उनके अंदर होने वाली रासायनिक क्रियाओं से बनकर तैयार हुए हैं. पूरी दुनिया में बहुत कम ही जगहें ऐसी है जहाँ तेल के कुएं मिलते हैं जिनमें से हम कच्चा तेल निकालकर उसे पेट्रोल और डीजल के रूप में बदल देते हैं जिसके लिए सबसे पहले रिफाइनरी में कच्चे तेल के ऊपर डिजिटलाइजेशन का प्रोसेस किया जाता है जिसमें पेट्रोल, डीजल, केरोसिन और एलपीजी अलग हो जाते हैं जिसके बाद कच्चे तेल से निकलने वाले तेल को पेट्रोल पंप तक पहुंचाया जाता है.

क्या कभी आपने सोचा है अगर गैस और पेट्रोलियम ऊर्जा बहुत कम जगहों पर पाई जाती है तो उनका पता कैसे लगाया जाता है?

सबसे पहले खोजकर्ताओं इसके बारे में बारीकी से पता लगाते है कि किस जगह पर तेल और गैस के भंडार मौजूद हैं क्युकी अगर गलत जगह पर उसे निकालने का काम शुरू कर दिया जाए तो काफी ज्यादा नुकसान हो सकता है जहाँ तेल और गैस के रिसर्च के दौरान करीब 200 फिट की बोरिंग की जाती है और करीबन 2.5 किलो का डाइनामाइट या बम्ब नीचे डालकर विस्फोट कराया जाता है ऐसा करने पर 10 किलोमीटर के आसपास की जमीन कांप उठती है विस्फोट के बाद जो कॉस्मिक तरंगें निकलती हैं इन तरंगों को सिस्मिक फ़ोन की मदद से रिकॉर्ड किया जाता है और जो डेटा होता है उसे जिओलोजिस्ट द्वारा सुपर कंप्यूटर की मदद से ऐनालाइज किया जाता है क्योंकि इस डेटा के एनालिसिस के बाद ही पता चलता है कि किस साइड पर कितनी मात्रा में गैस और तेल के भंडार मौजूद है अगर तेल बहुत ज्यादा मात्रा में है और अच्छे तरीके से है तो उसके बाद ही कच्चे तेल को निकालने के लिए कुएं खोदे जाते हैं.

जमीन के अंदर मौजूद तेल और गैस के भंडारों का पता लगाने के लिए इस तरीके को सिस्मिक एक्स्प्लोरेशन कहते है और इस तरह का प्रोसेस इस जमीन पर अपनाया जाता है लेकिन जब समुद्र की गहराई में तेल कुएँ खोदने की बता आती है तो इसका तरीका थोड़ा-सा अलग होता है जहाँ समुद्री जहाज की मदद से एक पानी के अंदर सिस्मिक तरंगें छोड़ी जाती है ये तरंगें पानी के अंदर अलग अलग तरह के पदार्थों जैसे की चट्टान तेल और गैस के भंडार से टकराती है और फिर रिफ्लेक्ट होकर वापस जहाज तक आती है और जहाज़ में लगे सिस्मोमीटर इंस्ट्रूमेंट की मदद से बापस लौट कर आने वाली इन तरंगों को रिकॉर्ड किया जाता है और फिर सारी इन्फॉर्मेशन इकट्ठा कर ली जाती है और फिर जो डेटा निकलता है उसे भी सुपर कंप्यूटर की मदद से ऑनलाइन किया जाता है कि किस जगह पर कितना तेल और गैस के भंडार मौजूद हैं ये जहाँ कहीं भी ज्यादा मात्रा में होते हैं वहीं से तेल निकालने की प्रक्रिया शुरू की जाती है.

तेल के कुएं ढूँढना काफी मुश्किल वाला काम होता है क्योंकि इससे बहुत ही मेहनत और कठिनाइयों का सामना करके जमीन से निकाला जाता है दोसोत धीरे-धीरे पेट्रोल और डीजल की मात्रा कम होती जा रही है इसलिए जितना आपको जरूरत हो उतना हो पेट्रोल खर्च करे. भारत के मुंबई हाई गुजरात, असम, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, और अरुणाचल प्रदेश में तेल के कुएं मौजूद है और अब तो ये बात भी सुनने में आ रही है कि बिहार के सिवान जिले में भी तेल और गैस के भंडार मौजूद हैं यहाँ पर भी खुदाई करके तेल के भंडार खोजे जा रहे हैं.

तो दोस्तों उम्मीद करते है कि आपको हमारे इस आर्टिकल से भारत में समुंद्र से निकलने वाले तेल के बारे में पूरी जानकारी मिल गयी होगी.

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