दोस्तों आप सभी लोग मोबाइल चार्ज करने के लिए चार्जर का इस्तेमाल करते होंगे लेकिन क्या आपको पता है कि ये चार्ज Factory में कैसे बनते है अगर नही तो हमारे इस आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़े, क्युकी आज हम आपको फैक्ट्री में मोबाइल चार्जर बनने से रिलेटेड पूरी इनफार्मेशन देंगे.
फैक्ट्री में मोबाइल चार्जर कैसे बनते है?
आज के टाइम में अगर किसी को कही बाहर जाना होता है तो आप मोबाइल के साथ-साथ चार्जर को भी रखते है क्युकी बिना चार्जर के अप मोबाइल चार्ज ही नही कर पाएंगे, ये चार्जर को बनाने की शुरुआत केबल के तारों के बंडलो से होती है जिनसे डेटा केवल बनाया जाता है जिसके लिए ये नॉर्मल केबल्स के दोनों सिरों को छीलकर इसमें से छोटे छोटे तारों को बाहर निकाला जाता है जिससे मोबाइल सॉकेट में लगने वाले पिन इससे जोड़ी जा सके उसके बाद अब इस पिन्स को ऐसे ही यूज करते है इसीलिए अब इन्हें कवर करने के लिए मोल्डिंग मशीन में इनके एक सिरे को डालकर पीवीसी ग्रेनुअल को हीट मोटे प्लास्टिक की लेयर इस पर चढ़ाई जाती है उसके बाद सेम यही प्रोसेस डाटा केबल के दूसरे सिरे पर भी दोहराई जाती है इसके बाद आपका डाटा केबल तैयार हो जायेगा और ये एकदम वैसा ही दिखेगा जैसा आप डेली यूज करते होंगे.
इलेक्ट्रिक बोर्ड में हीट होने वाले एडोप्टर को बनाने के लिए सबसे पहले उसकी 3D डिजाईन तैयार की जाती है उसी को फॉलो करते हुए प्लास्टिक पार्ट्स बना लिए जाते हैं और साथ ही उसमें हीट होने वाले प्रिंटेड सर्किट बोर्ड भी ऑटोमेटिक मशीन की मदद से तैयार कर लिए जाते है उसके बाद इन्हें आगे की असेंबली के लिए भेजने से पहले इनके सारे सर्किट करंट फ्लो, रजिस्टेंस की प्रॉपर चेकिंग की जाती है यहाँ से इसका सैंपल पास हो जाने के बाद ही आगे बढ़ाया जाता है और चार्जर की प्लास्टिक बॉडी को फिनिशिंग देकर इसमें पीसीबी और सॉकेट को फिट किया जा रहा है जब ये असेम्बली पूरे हो जाती है तो इन सभी केबल्स और चार्जर्स का इनपुट और आउटपुट वोल्टेज टेस्ट किया जाता है और ये कन्फर्म किया जाता है कि कस्टमर्स तक ख़राब प्रोडक्ट बिलकुल न जाये, इसके बाद इन एडोप्टर पर लेजर से कंपनी की ब्रांडिंग वोल्टेज, कैपेसिटी, मैन्युफैक्चरिंग कंट्री डीटेल्स प्रिंट करके पैक किया जाता है.
तो उम्मीद करते है कि मोबाइल चार्जर बनने से रिलेटेड सारी बातें आपको समझ में आ गयी होंगी.
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